बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल के दिनों में कई ऐसे निर्णय लिए है जिसे देखकर लगता है मानो किसी एक खास समुदाय को टारगेट किया जा रहा है, कुछ दिनों पहले बिहार सरकार ने निजी हिंदू मंदिरों पर टैक्स लगाया है, जिसके अंतर्गत पूजा करने पर भी टैक्स देना होगा। अभी यह आदेश ठीक ढंग से लोगों तक पंहुचा भी नहीं था कि इसी बीच बिहार के गया जिले में, जहां हिन्दू धर्म के लोग पिंड दान करने जाते हैं, अब उनसे भी टैक्स वसूला जायेगा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गयाजी की 50 से अधिक पिंड में से दो प्रमुख पिंड वेदी सीताकुंड और अक्षय वट में अब प्रवेश करने पर तीर्थ यात्रियों से पैसे वसूले जा रहे हैं जिससे हिन्दू समाज बौखला उठा है। जिसके बाद विवाद बढ़ता जा रहा है.

इसके पीछे हिन्दू समाज और विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति का तर्क है कि पिंडदान से जुड़ी शहर में 50 वेदियां हैं, तो उन सभी वेदियों पर अगर शुल्क लगना शरू हुआ तो तीर्थयात्रियों की नजर में गयाजी वसूली का एक केंद्र नजर आएगा। वहीं, नगर निगम के मेयर विरेंद्र कुमार का कहना है कि “अक्षयवट और सीता कुंड मंदिर के क्षेत्र के रखरखाव और मेंटेनेंस को ध्यान में रखते हुए प्रति पिंदानी 5 या 10 रूपए का शुल्क निर्धारित किया गया है। यह निर्णय सरकार का है। व्यवस्था को सुव्यवस्थित बनाए रखने के उद्देश्य को लेकर यह निर्णय लिया गया है।”

वहीं इस निर्णय को लेकर हिन्दुओं का कहना है कि “देश के किसी भी धार्मिक स्थल पर ऐसा नहीं होता है। गया नगर निगम पिंड वेदियों को आय का जरिया न बनाए। निगम ने अपना निर्णय वापस नहीं लिया तो उसे गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ेगें।”

वहीं गया के मेयर वीरेंद्र कुमार का कहना है कि मेंटेनेंस के लिए पिंडदानियों से 5 रुपए का शुल्क लिए जाने का फैसला सरकार का है। लेकिन उन्होंने 10 रुपए लिए जाने की बात का खंडन किया।

 

बिहार सरकार की तरफ से लगाया गया यह टैक्स बिल्कुल मुगल आक्रांता द्वारा हिन्दुओं पर लगाए गए जजिया टैक्स जैसा ही है, जैसा औरंगजेब के शासन काल में गैर-मुसलमानों से वसूला जाता था। ऐसे में सवाल यही उठता है कि आखिर क्यों हिंदु अपनी आस्था के लिए पैसे दें ?

 

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