हाथरस के बूलगढ़ी वाले case में होना तो ये चाहिए था कि सारा देश एकमत होकर सरकार व न्याय व्यवस्था से निष्पक्ष जांच की , दोषियों को सज़ा की और पीड़िता को न्याय की कहता और हाँ जो राजनीतिक दल आजकल कुछ ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं वो संसद और विधानसभा में सरकार पर निष्पक्ष जांच का दबाव बनाए रखते और जबाव तलब करते रहते ।

पर इस case की वजह से देश के हालात कुछ और ही नज़र आ रहे हैं । social media से लेकर राजनेताओं के बयानों तक में नफ़रत भरी बातों की बाढ़ आई हुई है ।
अच्छा वैसे इन चीजों से राजनेताओं को तो फायदा हो सकता है पर हम लोग क्यों आपस में एक दूसरे के लिए इतनी नफरत बढ़ाये जा रहे हैं ?

तो अगर हम इस बात को गम्भीरता से सोचेंगे तो हमें समझ आने लगेगा कि जिस घटना के माध्यम से हिन्दुओं को आपस में लडाया जा सकता है , उस घटना को जानबूझकर highlight में रखा जाता है हिन्दू विरोधियों द्वारा । ताकि जातिवाद , राजनीति और धर्म परिवर्तन का खेल खेला जा सके हिन्दुओं के साथ और ऐसा ही बूलगढ़ी वाली घटना का सहारा लेकर किया जा रहा है । उद्देश्य तो वही है हिन्दुओं को आपस में लड़ाना , लेकिन आइये इसकी process को समझते हैं –

— सबसे पहले तो बाल्मीकि और ठाकुर समाज के बीच खटास पैदा करने की कोशिशें शुरू हुईं और इसी को बढ़ावा देने वाली बातें social media पर नज़र आने लगी ।
— उसके बाद बाल्मीकियों को अनुसूचित जातियों और ठाकुर समाज को अगड़ी जातियों से जोड़कर सवर्ण और दलित के नाम पर हिन्दुओं में फूट डालने का सिलसिला शुरू हुआ और राजनेताओं व तथाकथित सामाजिक संगठनों के नेताओं की जुबान पर इसी से जुड़ी बातें घूमने लगीं ।
— उसके बाद पीड़िता के रात में किये गए अंतिम संस्कार के बहाने सीधा धर्म को target करते हुए बाल्मीकि भाइयों को धर्म परिवर्तन करने तक के लिए उकसाया गया जबकि पुलिस प्रशासन ने ये स्पष्ट कर दिया कि उनके पास intelligence input था कि खुद को सामाजिक संगठन कहने वाले गिरोह उस पीड़िता की लाश को अपने कब्जे में लेकर व पीड़िता के परिवार को बहकाकर माहौल खराब करने की योजना बना रहे थे तो कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए शव का रात में ही दाह करना पड़ा ।

— उसके बाद निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे संगठनों के बहाने फिर से सवर्ण और दलित की बात कहकर हिन्दुओं में फूट डालने के काम शुरू हुए जबकि वो संगठन स्पष्ट कर चुके थे कि पीड़िता को न्याय हम भी चाहते हैं लेकिन चूंकि कुछ आरोपियों के निर्दोष होने के स्पष्ट सबूत हैं , तो कोई निर्दोष ना फंसे , बस यही मांग कर रहे हैं ।

— उसके बाद तमाम हिन्दू संगठनों पर सवाल उठाते हुए फिर से धर्म को target किया गया । जबकि यह बात सबको पता है कि तमाम हिन्दू संगठन और संगठनों से जुड़े लोग निजी रूप से भी उस बहन के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं पर हाँ रोड जाम करके आम लोगों को तकलीफ नहीं दे रहे और किसी को गाली गलौज नहीं कर रहे ।

— उसके बाद गलती से जयंत चौधरी पर पुलिस की लगी लाठी वाली बात का सहारा लेकर जाट और ठाकुर समाज के बीच नफरत घोलने की कोशिश शुरू हुईं

— उसके बाद चूंकि सपा कार्यकर्ता बहुत हंगामा कर रहे थे तो उन्हें शांत करने के लिए पुलिस द्वारा उन पर किये गए लाठीचार्ज का बहाना लेकर यादव और ठाकुर समाज के बीच खटास पैदा करने की कोशिशें शुरू हुईं

— उसके बाद पीड़िता और ऊपर की दो घटनाओं का सहारा लेकर हिन्दुओं को अगड़ा , पिछड़ा और दलित बोलकर तरह तरह के वर्ग बनाकर अब तक हिन्दुओं को आपस में लड़ाने की कोशिशें जारी हैं ।

तो समझो इन सब बातों को , सब कुछ हमारे सामने है और सब कुछ हमसे ही कराया जा रहा है और नुकसान भी इसमें हम सबका ही होना है ।
तो जो साजिशें कर रहे हैं , उनकी हरकतों पर विराम लगाओ , निष्पक्ष जांच की मांग करो , पीड़िता के लिए न्याय मांगों , दोषियों के लिए सज़ा मांगों , निर्दोषों के लिए संरक्षण मांगों पर एक दूसरे के लिए नफरत मत पालो , क्योंकि सब हमारा फायदा उठाने के लिए हैं , समय पर हम ही एक दूसरे के काम आएंगे इसलिए धर्म की डोर को थामो और आपस में मिलजुलकर रहो और कोशिश करो कि आगे से किसी बहन बेटी के साथ ऐसा ना हो ।

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