कहते हैं कि जब वक्त बुरा होता है तो ऊँट की पीठ पर बैठे आदमी को भी कुत्ता उसके पिछवाड़े में काट खाता है। और मामला जब गधों खच्चरों का हो तो कहना ही क्या ?? भारत के पड़ोस में , गधों के लिए विख्यात मुल्तान वाले देश के सुल्तान के सिर्फ पर हमेशा ही तो तलवार लटकी होती हैं -एक पाकिस्तानी फ़ौज की और दूसरी आतंकयों की मौज की। पाकिस्तान इन दिनों अपने सबसे बुरी माली हालत से गुजर रहा है।

भारत की नरेंद्र मोदी सरकार और उनकी नीतियों ने पाकिस्तान को कहीं भी इस लायक नहीं छोड़ा कि वो क़र्ज़ ,दान , खैरात आदि मांग कर भी गुजर बसर कर सकें। पाकिस्तान के वजीरे आजम से लेकर तमाम हुक्मरान तक फिलहाल सिर्फ एक ही काम पर लगे हुए और वो है कहीं से पैसों का जुगाड़ करना।

और ऐसे में यदि , आपका वो नया नया यार , जिसे आपने अब्बू जैसा दर्ज़ा दिया न सिर्फ दर्ज़ा बल्कि ज़र जोरू और जमीन तक निर्यात करने का फैसला कर लिया वो भी यदि ऐसे बुरे समय पर सहायता मदद करना तो दूर ऐसे कर्ज़ों के वसूली का नोटिस देगा तो फिर तो वल्लाह हो जाएगा।

असल में मामला ये है कि चीन द्वारा पाकिस्तान में एक बाँध के निर्माण के लिए गए दस्ते के नीचे , खेल खेल में पाकिस्तान के प्यारे दुलारे आतंकियों ने , बम लगाकर चेक किया कि वे फटते हैं नहीं -चीनी फट गए और काम बंद हो गया। अब चीनियों ने अपने उन उड़े हुए इंजीनियरों के बदले में पूरे 285 करोड़ रूपए मुआवजा देने को पाकिस्तान को कहा है और ये भी घुड़की दे दी है कि पहले ये क्लियर करो फिर आगे काम बढ़ेगा।

अब ये तो चीन की ज्यादती है , जब आप पाकिस्तान जैसे देश में जाकर बाँध , स्कूल , अस्पताल ,जैसी गैर जरुरी चीज़ों के निर्माण में पैसे लगाते हैं तो फिर तो आपको बम बारूद से फटने मरने के लिए तैयार रहना ही चाहिए। पाकिस्तान को या तो गधों को रखने पालने के लिए बड़े बड़े अस्तबल की जरूरत है या फिर बम बनाने वाले अड्डों की , बाकी किसी चीज़ से उसका क्या सरोकार।

लेकिन चीनी लोगों की दोस्ती तो उनकी दुश्मनी से भी गंदी है , अभी तो सिर्फ जमीन और बेगमें देनी पड़ रही हैं क्या पता कल होकर वही उइगरों वाला बुलडोज़र कहीं पेशावर की तरफ घुमा दिया तो तौबा तौबा। यही सोचकर पाकिस्तान की हकूमत लगी हुयी है इस मुआवजे की रकम इकट्ठा करने में , दुनिया में रहम दिल वालों की कमी नहीं है , वे जरूर चवन्नी अठन्नी करके एक न एक दिन ये रकम पूरी कर ही देंगे

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