शेर जिनकी सवारी है|
शक्ति की आराधना आपको सिर्फ ये नहीं सिखाती कि ये नौ दिन आएँगे और माँ के नौ नामों को पूजा जाएगा।
अगर आप धार्मिक ना भी हैं तब भी सनातन में महिला शक्ति का ये वर्चस्व जहाँ तमाम शक्तियों से लबरेज़ देवताओं को शक्तिरूपेण स्त्री का आह्वान करना पड़ा, जिसके ताप और अधर्म के विस्तार के फलस्वरूप संताप से उपजे क्रोध को बस प्रेमी हृदय महादेव ही संतुलित कर पाए, जो अपने शिशु की भूख के लिए अपनी छाती आगे करके दर्द सहती है तो उसी छाती पर पड़ते गंदे हाथों को काटकर फेंक देती है।
ऐसी असीमित शक्ति और अथाह प्रेम के संयोजन की सशक्त प्रतिनिधि एक स्त्री कभी कमज़ोर नहीं हो सकती और ये नवरात्रि का शुभ महोत्सव प्रतीकात्मक रूप से हर युग में सभी को यही सीख देने के लिए मनाया जाएगा कि शक्ति सिर्फ पूजने मात्र नहीं बल्कि अपने अंदर पैदा करने के लिए भी उत्सव मनाने योग्य हैं।
मेरे लिए माँ का पहला रूप उसकी छाती का दूध और दूसरा रूप उसी छाती की तरफ बढ़ते दुष्कर्मी हाथों को काटकर फेंकता हथियार है जो माँ की प्रतिमाओं में परिलक्षित है जो प्रथम स्तर पर अथाह स्नेह और अगले स्तर पर शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
माता रानी की हर मूरत और हर रूप एक सीख देता है।
आज के युग में जिस रूप की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है वो है;
“या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः”
शक्ति और प्रेम से परिपूर्ण नवरात्रि के शुभ महा महोत्सव की अशेष शुभकामनाएँ।
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