जिस तरह से आजकल पप्पू कह देने से पूरा ब्रह्माण्ड समझ जाता है कि बात भारत के चश्मो चराग जनाब युवराज डोरेमोन गाँधी जी की हो रही है , भूरी काकी का सम्मान आज किसे हासिल है ये समझाने की जरूरत किसी को नहीं होती , ठीक इसी तरह से जब कहा जाता है “विशेष समुदाय ” तो फट्ट से दिमाग में सर प्राइम मिनिस्टर जी की एकदम खरी खरी कही हुई बात सामने आ जाती है कि उपद्रवी तो अपने कपड़ों के रंग से ही पहचान में आ जा रहे हैं |

बेशक , बेशक इसके बावजूद हमारा भौत बल्कि भौत से भी बहुत जादा इंटेलिजेंट इश्मार्ट और बोले तो डेयरिंग मीडिया , भी जब पीड़ित , कतई सताया हुआ दिखाना हो तो सीधा ही मुस्लिम यानि मजलूम वाले फार्मूले पर कूद पड़ता है मगर जब बात करतूतों और कांडों , कुकर्मों अपराधों की होती है तो इनमें शामिल वे सभी तुरंत अपनी पोजीशन स्वैप करके वे “विशेष समुदाय ” , एकदम खासम ख़ास लोग समझे न , बन कर लोगों के बीच गुम हो जाते हैं |

पूरी दुनिया में आज दो ही तरह के लोग बच गए हैं ,बहुत से भी बहुत ज्यादा विशेष समुदाय जैसा की ये खुद बार बार और बात बात पर फतवा जारी कर पूरी दुनिया को धमकाते डराते रहते हैं और जो इनके मंसूबों और करतूतों में हरगिज़ भी शामिल होने को तैयार नहीं हैं बाकी बचे हुए “शेष समुदाय ” | कोरोना की तरह ही दुनिया के अलग अलग जगहों पर अपने नफरत और ज़हर की आग से इंसानियत को लगातार डस रहे ये लोग ,ये सोच अब धीरे धीरे दुनिया को इनके विरूद्ध एक हो जाने को विवश किये दे रही है |

पोलैंड के शासक इस बात पर सार्वजनिक ख़ुशी ज़ाहिर करते हैं कि उनके यहां मुस्लिम शरणार्थियों को अनुमति और संरक्षण न दिए जाने से ऐसी देश समाज विरूद्ध किसी भी दंगे फसाद की संभावनाओं से बचे रहने पर संतोष व्यक्त करते हैं , इतना ही नहीं जब विश्व के सबसे शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के राष्ट्रपति अपने लगभग हर सम्बोधन में रैडिकल इस्लामिक टेररिज्म कह पूरे विश्व को आगाह और टेररिज़्म को चेताने जैसे बात कहते हैं तो वो भारतीय मीडिया के ठीक कान के नीचे सन्नाट जमाने जैसा लगता है |

तिसपर कुछ टीवी चैनल और उनके कर्ता धर्ता इस स्तर तक फट्टू फोबिया से ग्रस्त होते हैं कि दिन रात आप चैनलों पर सिर्फ मैयत निकलते और उस पर बिसूरते हुए दिखेंगे | हर बात में , वो “कौन जात हो ” वाला गोला तो दाग सकते हैं ,मगर कभी भूले से भी नहीं पूछ सकते “कौन जमात हो ” | और इस कमाल के फट्ट्ड बैलेंस के लिए बाकायदा चमन कैसे कैसे ईनाम शिनाम भी पा रहे हैं ,वजीफा अलग से |



दुनिया की हर समस्या से बड़ी समस्या आज यही है कि शेष समुदाय ही ,विशेष समुदाय हो जाने को तैयार नहीं है , बस इसी बात की लड़ाई है छोटी सी ,इसीलिए दंगे फसाद झगडे विद्रोह आदि करने वाले कुछ लोग विशेष होते चले गए , लगातार ही विशेष होते जा रहे हैं | बिना ये सोचे समझे कि कुदरत के कानून में कोई शेष विशेष अशेष नहीं होता | और अब जबकि प्रतिकार काल आरम्भ हो चुका है तो मीडिया को भी मुखर ,स्पष्ट और निडर हो जाना चाहिए मगर संयमित और दायित्वबोध के साथ |

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