500 साल बाद 5 अगस्त को होगा भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू

हिन्दू आस्था शक्ति का प्रतीक बनेगा अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर

विश्व के इतिहास में इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए धर्मस्थल को वापस स्थापित करने का ऐतिहासिक उदाहरण

5 अगस्त को अयोध्या में भगवान राम कर भव्य मंदिर के निर्माण का कार्य शुरू होगा। भारत के प्रधानमंत्री और राम जन्मभूमि आंदोलन से बरसों से जुड़े रहे कारसेवक श्री नरेन्द्र मोदी भव्य राम मंदिर के निर्माण की शुरुआत करेंगे।

इसी के साथ 500 साल पहले बाबर के सेनापति मीरबाँकी ने जो रामलला का मंदिर नष्ट किया था, उसके न्याय की प्रक्रिया पूरी होगी।

तुलसीदास जी ने अत्यंत कष्ट के साथ ये चौपाइयां लिखी थी , राम मंदिर के विध्वंस के बारे में :

मंत्र उपनिषद ब्राह्मनहुँ बहु पुरान इतिहास।

जवन जराये रोष भरि, करि तुलसी परिहास॥

सिखा सूत्र से हीन करि, बल ते हिन्दू लोग।

भमरि भगाये देश ते, तुलसी कठिन कुजोग॥ 

बाबर बर्बर आइके, कर लीन्हे करवाल।

हने पचारि-पचारि जन, तुलसी काल कराल॥

सम्बत सर वसु बान नभ, ग्रीष्म ऋतु अनुमानि।

तुलसी अवधहिं जड़ जवन, अनरथ किए अनखानि॥

राम जनम महिं मंदिरहिं, तोरि मसीत बनाय।

जवहि बहु हिन्दुन हते, तुलसी कीन्ही हाय॥

दल्यो मीरबाकी अवध, मन्दिर रामसमाज।

तुलसी रोवत हृदय हति, त्राहि-त्राहि रघुराज॥

राम जनम मंदिर जहाँ, लसत अवध के बीच।

तुलसी रची मसीत तहँ, मीरबाकी खल नीच॥

रामायन घरि घन्ट जहँ, श्रुति पुरान उपखान।

तुलसी जवन अजान तहँ, कियो कुरान अजान॥


मन्त्र उपनिषद ब्राह्मनहुँ बहु पुरान इतिहास ।
जवन जराये रोष भरि करि तुलसी परिहास ॥
श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि क्रोध से ओतप्रोत यवनों ने बहुत सारे मन्त्र (संहिता), उपनिषद, ब्राह्मणग्रन्थों (जो वेद के अंग होते हैं) तथा पुराण और इतिहास सम्बन्धी ग्रन्थों का उपहास करते हुये उन्हें जला दिया ।


सिखा सूत्र से हीन करि बल ते हिन्दू लोग ।
भमरि भगाये देश ते तुलसी कठिन कुजोग ॥
श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि ताकत से हिंदुओं की शिखा (चोटी) और यग्योपवित से रहित करके उनको गृहविहीन कर अपने पैतृक देश से भगा दिया ।


बाबर बर्बर आइके कर लीन्हे करवाल ।
हने पचारि पचारि जन तुलसी काल कराल ॥
श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि हाँथ में तलवार लिये हुये बर्बर बाबर आया और लोगों को ललकार ललकार कर हत्या की । यह समय अत्यन्त भीषण था ।


सम्बत सर वसु बान नभ ग्रीष्म ऋतू अनुमानि ।
तुलसी अवधहिं जड़ जवन अनरथ किय अनखानि ॥
इस दोहा में ज्योतिषीय काल गणना में अंक दायें से बाईं ओर लिखे जाते थे, सर (शर) = 5, वसु = 8, बान (बाण) = 5, नभ = 1 अर्थात विक्रम सम्वत 1585 और विक्रम सम्वत में से 57 वर्ष घटा देने से ईस्वी सन 1528 आता है ।) श्री तुलसीदास जी कहते हैं कि सम्वत् 1585 विक्रमी (सन 1528 ई) अनुमानतः ग्रीष्मकाल में जड़ यवनों अवध में वर्णनातीत अनर्थ किये । (वर्णन न करने योग्य) ।


राम जनम महि मंदरहिं,तोरि मसीत बनाय ।
जवहिं बहुत हिन्दू हते,तुलसी कीन्ही हाय ॥
जन्मभूमि का मन्दिर नष्ट करके, उन्होंने एक मस्जिद बनाई । साथ ही तेज गति उन्होंने बहुत से हिंदुओं की हत्या की । इसे सोचकर तुलसीदास शोकाकुल हुये ।


दल्यो मीरबाकी अवध मन्दिर राम समाज ।
तुलसी रोवत ह्रदय हति त्राहि त्राहि रघुराज ॥
मीरबकी ने मन्दिर तथा रामसमाज (राम दरबार की मूर्तियों) को नष्ट किया । राम से रक्षा की याचना करते हुए विदिर्ण ह्रदय तुलसी रोये ।


राम जनम मन्दिर जहाँ तसत अवध के बीच ।
तुलसी रची मसीत तहँ मीरबकी खल नीच ॥
तुलसीदास जी कहते हैं कि अयोध्या के मध्य जहाँ राममन्दिर था वहाँ नीच मीरबकी ने मस्जिद बनाई ।


रामायन घरि घट जहाँ,श्रुति पुरान उपखान ।
तुलसी जवन अजान तँह,करत कुरान अज़ान ॥
श्री तुलसीदास जी कहते है कि जहाँ रामायण, श्रुति, वेद, पुराण से सम्बंधित प्रवचन होते थे, घण्टे, घड़ियाल बजते थे, वहाँ अज्ञानी यवनों की कुरआन और अज़ान होने लगे। अब यह स्पष्ट हो गया कि गोस्वामी तुलसीदास जी की इस रचना में जन्मभूमि विध्वंस का विस्तृत रूप से वर्णन किया है !


राम मंदिर को दुबारा बनाने का संघर्ष 500 साल से लगातार चलता रहा और जाग्रत हिन्दू समाज एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ये संकल्प देता रहा कि एक दिन भगवान राम लला के मंदिर की भूमि को वापस लेना हैं और वहां भव्य राममंदिर का निर्माण करना हैं।

कई खूनी संघर्षों और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिर 500 साल बाद हिन्दू समाज ने इस जमीन को वापस ले लिया हैं। भगवान राम का ये मंदिर हिन्दू समाज की अद्वितीय संकल्प शक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाएगा और “सब याद रखा जाएगा” वाले नकली लोगों को ये सबक होगा कि जाग्रत हिन्दू समाज ने 500 साल तक सब याद रखा ।

बाबर के द्वारा तुड़वाये गए राम मंदिर का नरेंद्र मोदी के हाथों पुनर्निर्माण आधुनिक विश्व के इतिहास की एक यादगार घटना के तौर पर युगों युगों तक याद रखी जायेगी।

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