अक्षरधाम और सोमनाथ मंदिर के निर्माण से जुड़े श्री चंद्रकांत सोमपुरा बना रहे हैं नया डिज़ाइन

रामलला का मंदिर 318 खंभों पर खड़ा होगा

अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के नक्शे के साथ वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा। उन्होंने बताया कि संतों और ट्रस्ट की इच्छा पर नक्शे में बदलाव किए गए हैं।

  • 161 फीट ऊंचा होगा रामलला का मंदिर, तीन तलों पर 106-106 खंभे लगेंगे
  • खंभों की ऊंचाई 14 फीट 6 इंच होगी, हर खंभे में 16 मूर्तियां तराशी जाएंगी

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के करीब 9 माह बाद 5 अगस्त से अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। शनिवार को श्रीराम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में शिलान्यास, निर्माण और मंदिर के स्वरूप को लेकर निर्णय हुए।

सबसे बड़ा निर्णय शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी का रहा। दूसरा सबसे अहम निर्णय मंदिर निर्माण से जुड़ा था। इसके तहत मंदिर अब दो नहीं बल्कि तीन मंजिला होगा।

इसकी लंबाई 268 फीट और चौड़ाई 140 फीट होगी। पहले इसकी ऊंचाई 128 फीट तय की गई थी जो अब 161 फीट हो गई है।

तीन मंजिला (तल) बनने वाले मंदिर में 318 खंभे होंगे। हर तल पर 106 खंभे बनाए जाएंगे। राम मंदिर के नक्शे को नए सिरे से तैयार करने में वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा जुटे हैं। उन्होंने कहा कि करीब 100 से 120 एकड़ भूमि पर पांच गुंबदों वाला तीन मंजिला मंदिर दुनिया में कहीं नहीं है। 

सोमनाथ मंदिर और अक्षरधाम जैसे मंदिरों को बनवाने वाले चंद्रकांत सोमपुरा ने साल 1987 में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राम मंदिर का मॉडल तैयार किया था। इसमें पूरे मंदिर के निर्माण में करीब 1.75 लाख घन फुट पत्थर की जरूरत बताई गई थी। अब जब मंदिर का स्वरूप बदल गया है तो इसका नक्शा भी बदल जाएगा। 

मंदिर में दो चबूतरे होंगे। पहला चबूतरा 8 फीट ऊंचा और 10 फीट चौड़ा होगा। यह चबूतरा परिक्रमा मार्ग पर होगा। दूसरा चबूतरा 4 फीट 9 इंच का होगा और उसके ऊपर खंभे लगेंगे।

गर्भगृह, आरती स्थल, सीता रसोई, रंगमंडपम की संरचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इसकी संरचना पहले बनाए गए नक्शे के हिसाब से ही रहेगी। नए राम मंदिर की ऊंचाई बढ़ाई गई है, लेकिन यह भारत में सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर नहीं होगा। दक्षिण भारत में कई मंदिरों के शिखर की ऊंचाई 200 से 250 फीट से ज्यादा है। अक्षरधाम समेत कई मंदिरों में पांच गुंबद हैं। द्वारका मंदिर तो सात मंजिला है। लेकिन, 100 एकड़ भूमि में बनने वाला यह इकलौता मंदिर है। 

अब तक 80 हजार घन फुट पत्थर तराशा जा चुका है। करीब इतने ही पत्थर की और जरूरत पड़ सकती है। यह पत्थर बंसी पहाड़पुर से लाया जाएगा।

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