मानस का सुंदर काण्ड , लोगों के बीच में बहुत मान्यता रखता है । इसका पाठ होता है क्यूँकि ये माँ सीता के अपहरण के बाद बनी निराशा से पूरे घटनाक्रम को आशा की ओर ले जाता है । संक्षेप में कहें तो :

वर्षा ऋतु बीतने के बाद जब सुग्रीव ने माता सीता को ढूँढने का कोई उपक्रम नहीं किया तो प्रभु श्रीराम ने अनुज लक्ष्मण को उनके पास भेजा । सुग्रीव को ग़लती का एहसास हुआ और उन्होंने अपने सभी सहयोगियों के चार दल बनाकर चारों दिशाओं में भेज दिए , खोज में । दक्षिण की ओर जो दल गया उसमें, जामवन्त और हनुमान भी थे । चलते चलते समुद्र तट तक पहुँचे उसके आगे का मार्ग नहीं था । जामवन्त ने जब हनुमान को उनके पराक्रम की याद करायी , तो हनुमान सुरसा और लंकिनि जैसी राक्षसिनियों को भी भेदते हुए लंका पहुँचे , और वहाँ विभीषण की सहायता से अशोक वाटिका । प्रभु राम की लायी मुद्रिका दी और माता सीता के दुःख को हरा । इसके बाद पूछ में आग लगाए जाने के बाद पूरी लंका जला डाली । चूड़ामणि लेकर वापस लौटे , प्रभु राम के पास । सेना सुसज्जित की गयी और समुद्र तट तक आ गयी । उधर रावण ने भी अपने भाई विभीषण को अपमानित करके निकाल दिया वो प्रभु श्रीराम के पास आ गया । समुद्र से रास्ता माँगने के लिए प्रभु श्रीराम उसकी आराधना करने लगे पर ना मानने पर अपना धनुष उठाया भर की समुद्र उनके चरणों पर आ गिरा और नल-नील की सहायता से समुद्र पर सेतु का कार्य प्रारम्भ हुआ , महादेव की आराधना करने के बाद । तीर्थ आज भी रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है , राम सेतु तो है ही ।

सेना समुद्र पार कर जाती है ।

यहाँ पर सुंदर काण्ड समाप्त होता है । रामायण के दो सबसे दुरूह कार्य : सीता माता की खोज और समुद्र पर पुल बंधन , ये दोनों सुंदर काण्ड में हुए हैं । सकारात्मकता का प्रतीक है सुंदर काण्ड और इसलिए बहुत पढ़ा जाता है ।


अखंड रामायण का पाठ , ख़ासकर अवध के हिस्सों में बहुत आम बात है । आपको अक्सर इसकी आवाज़ कानों में सुनाई दे जाएगी । मोहल्लों की रामायण पाठ की समितियाँ होती हैं जो पाठ सिस्सा लेती हैं ।

इसपर कभी रीसर्च हो तो पता चलेगा कि रामायण ( विशेषतः तुलसी रचित रामचरित मानस ) दुनिया की सबसे ज़्यादा ख़रीदी गयी किताब होगी ( आम भाषा में बेस्ट सेलर बोलते हैं जिसे ) । लगभग हर घर में होती है , और कहीं कहीं तो एक से ज़्यादा भी । छोटे अक्षरों में , बुजुर्गों के लिए बड़े अक्षरों में । पहले लोग यात्रा में भी साथ रखते थे , अभी भी रखते होंगे ।

एक से ज़्यादा रामायण इसलिए भी होती हैं घरों में क्यूँकि लोग घर में ही अखंड रामायण का पाठ कर लेते हैं । अखंड पाठ में ज़रूरी ये होता है कि शुरुआत से समापन तक पाठ रुकना नहीं चाहिए । लोग पढ़ते रहते हैं पर कभी कभी कुछ परिस्थितियाँ बन सकती हैं जिसमें पढ़ना मुश्किल हो जाए जैसे अचानक अंधेरा हो जाए , या पढ़ने वाले लोग बदल रहे हों , ऐसे में किसी एक चौपाई को सम्पुट की तरह ( अंग्रेज़ी में फ़िलर बोल सकते हैं ) की तरह प्रयोग में लाते हैं जो दुबारा पढ़ने लायक़ स्थिति आने तक दोहराई जाती है। ये रामायण से ही कोई प्रसिद्ध चौपाई होती है और ज़्यादातर इनका अर्थ अखंड रामायण के प्रयोजन के उद्देश्य से जुड़ा होता है ।

जैसे , अगर कोई कार्य पूरा नहीं हो रहा या कोई संकट है :

दीन दयाल बिरीदु संभारी, हरहू नाथ मम संकट भारी ।

या कोई कार्य सफल हुआ है , ईश्वर को धन्यवाद देना है :

प्रभु की कृपा भयहू सब काजू , जनम हमार सुफल भा आजू ।

या बस ऐसे ही भगवान को याद कर रहे हैं :

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा , हृदय राखि कोसलपुर राजा !!

इस तरह की कई और भी हैं चौपाइयाँ ।

ऊपर की तीनों चौपाइयाँ , सुंदरकाण्ड से हैं । जैसा पहले भी लिखा , ये काण्ड मानस का सबसे पढ़ा जाने वाल काण्ड है । आज फिर पढ़ा ।

सम्पुट की बात याद आने साथ और बहुत कुछ फिर से समझने को मिला । जैसे एक दोहे में उस जमाने में फ़्रीडम ओफ स्पीच की बात कैसे समझाई थी :

भय से अगर मंत्री राजा से , वैद्य रुग्ण व्यक्ति से और गुरु शिष्य से केवल प्रिय बातें बोलेंगे तो क्रमशः राज्य , शरीर और धर्म का नाश होना तय है । ये तब लिखा गया था जब आजकी ज़्यादातर संस्कृतियाँ खून ख़राबे पर आमादा थीं ।

और भी बहुत कुछ है । ख़ासकर जब हनुमान श्रीराम का समाचार माता सीता को और माता सीता का समाचार प्रभु राम को सुनाते हैं । प्रकृति से कितनी उपमाएँ ली हैं गोस्वामी जी ने ।

सुंदरकाण्ड समाप्त होने से ठीक पहले भगवान राम के भी क्रोधित स्वरूप को दिखा देता है :

विनय ना मानत जलधि जड़ , गए तीन दिन बीति ।
बोले राम सकोप तब , भय बिनु होय ना प्रीति ।

इसके बाद समुद्र क्षमा माँगता है , भगवान शिव की आराधना करके सेतु बनता है , सेना लंका की ओर चली जाती है ।

और ये सब पढ़ते लिखते ध्यान आया की आज संकटमोचक मारुतिनंदन हनुमान की जयंती भी है । तो बात भी सुंदरकाण्ड के एक दोहे से समाप्त करूँगा जो हनुमान जी को समर्पित है :

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं ,
दनुजवनंकृशानुमं ज्ञानिनामगण्यम।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि ।

राम मंदिर भूमि-पूजन की असीम शुभकामनाएँ !!!! प्रभु राम और उनके भक्त हनुमान सभी विपदाओं से हम सबकी रक्षा करें !!!

जय श्री राम , जय हनुमान !!!

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