कहते हैं कुछ लोगों के अंदर झूठ इस कदर घुली होती है कि वो न सिर्फ झूठ बोलते हैं बल्कि झूठ ही लिखते हैं और झूठ ही फैलाते हैं. इनकी नसों में दरअसल सिर्फ झूठ ही भरा रहता है और इसी झूठ के सहारे वे अपना प्रोपेगेंडा चलाकर भोली-भाली जनता को बेवकूफ बनाने का काम करती है. इसी आड़ में वे अपना घर आबाद कर लेते हैं बाकी देश बर्बाद होता है तो हो जाए. अपना नेरेटिव चलाकर रोजी-रोटी चलाने वाले कई माननीय हैं लेकिन तीस्ता सीतालवाड़ उन नामों में शामिल हैं जिसने गुजरात दंगों के दौरान मरे हुए लोगों और उन पर आश्रित रहने वालों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते हुए अपना स्वार्थ साधने के लिए उनका इस्तेमाल किया  .

दरअसल गुजरात 2002 दंगों के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, जो वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री हैं उनपर 20 सालों तक अनगिनत आरोप मढ़े गए. लेकिन 20 साल बाद ही सही, उनपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद पाया गया और शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ डाली गई याचिका को ख़ारिज कर दिया गया। लेकिन इसी बीच तीस्ता सेतलवाड़ जिसने एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की याचिका सुप्रीम कोर्ट में डाली थी शनिवार को गुजरात एटीएस की टीम मुंबई में तीस्ता सेतलवाड़ के घर पहुंचकर उन्हें हिरासत में लिया और पूछताछ के लिए अहमदाबाद ले जाया गया। इन्हीं तीस्ता सेतलवाड़ के साथ मिलकर ही विरोधी पीएम मोदी के खिलाफ एक प्रोपगेंडा चलाते थे.

लेकिन बात सिर्फ पीएम मोदी के खिलाफ ही साजिश की नहीं थी तीस्ता सेतलवाड़ ने तो दंगा पीड़ित मुसलमानों को भी सालों तक मूर्ख बनाकर अपना उल्लू सीधा करने का काम किया है. वो अपनी स्वार्थ में इस कदर अंधी हो गयी थीं कि उन्होंने दंगों के दौरान मृत लोगों और उनके परिवार वालों की भावनाओं से भी खेलने का काम किया . सालों तक गुजरात दंगा पीड़ितों की मसीहा होने का दिखावा करने वाली तीस्ता सेतलवाड़ ने सालों तक पूरे देश को अपने झूठ के मकड़जाल में उलझाए रखा।

दरअसल हर दंगे के बाद एक नयी प्रजाति निकल कर सामने आती है जो खुद को दंगा पीड़ितों को न्याय दिलाने वाली बताती है. ठीक गुजरात में दंगों के बाद भी न्याय दिलाने वाले कथित समाजसेवी, बुद्धिजीवी और वामपंथी पत्रकार का एक खेमा अचानक से सामने आ गया. इन्हीं में एक थीं तीस्ता सेतलवाड़. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इनकी संस्था ‘Citizens of Justice and Peace’ ने गुलबर्ग सोसाइटी और बेस्ट बेकरी पर पीड़ितों को न्याय दिलाने के नाम पर पैसे और मोदी विरोधी खेमे के सहारे नरेंद्र मोदी को झुकाने की कोशिश की ,

लेकिन इस सबके बीच सवाल ये कि जितने पैसे इन मोहतरमा ने झोलझाल कर दबाएं हैं वो कहां है ? वामपंथियों का गुणगान करने वाली न्यूज पोर्टल BBC की रिपोर्ट की मानें तो तीस्ता ने उन पैसों का सिर्फ दुरुपयोग ही किया है . 2015 की एक रिपोर्ट के अनुसार, “गुलबर्ग सोसाइटी में रहने वाले कुछ लोगों का आरोप है कि तीस्ता ने गुलबर्ग सोसाइटी में एक म्यूज़ियम बनाने के लिए विदेशों से लगभग डेढ़ करोड़ रुपये जमा किए लेकिन वे पैसे उन तक कभी पहुंचे ही नहीं। वहीं जनवरी 2014 में तीस्ता, उनके पति जावेद आनंद, एहसान जाफ़री के बेटे तनवीर जाफ़री और दो अन्य लोगों के खिलाफ अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में FIR दर्ज की गयी। जांच के बाद पुलिस ने दावा किया कि तीस्ता और जावेद ने उन पैसों से अपने क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाये। वहीं गुजरात सरकार का भी आरोप है कि अमेरिका स्थित फ़ोर्ड फ़ाउंडेशन से तीस्ता ने अपने NGO के लिए जो पैसे लिए उनका इस्तेमाल उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने और विदेशों में भारत की छवि ख़राब करने के लिए किया।

इन सभी आरोपों के बीच सबसे बड़ा सवाल कि कैसे कोई इतना नीचे गिर सकता है कि जो लोग दुनिया में नहीं है उनके नाम के सहारे अपनी झोली भर लें . जाहिर है इसी धरती पर सबके पापकर्मों का हिसाब होता है और कुछ ऐसा ही हाल तीस्ता सेतलवाड़ का हो रहा है. जिनके सारे काले कारनामों का बहीखाता जल्द सामने आएगा.

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