अभी पिछले दिनों पढ़ा की आमिर खान अपने पिक्चर लाल सिंह चड्ढा की शूटिंग के लिए तुर्की गए हैं | इस कोरोना महामारी के बीच भी गए हैं तो जरूर ही कोई देश हित वाली बात होगी | क्यूंकि देश के जितने बड़े हितैषी फिल्मकार हैं वो इसे इसी बात से समझा जा सकता है कि सारी पिक्चरों में देश को वही बचा रहे होते हैं फिर टीवी पर सत्यमेव जयते से क्रान्ति ला देते हैं एकदम से , हिम्मती इतने कि अपने ईमाने मज़हब के अलावा आप किसी भी अन्य धर्म पंथ का मजाक उड़वा लें |
तो इस देश और जनता के प्रति इतनी शिद्दत से अटूट धंधा करने वाले आमिर खान जी को एक ख़ास समय पर इस देश में रहने से डर लगने लगता है ऐसे में अपने डर को दूर करने के लिए वे पीके कुछ भी बना डालते हैं , सस्ता सुभिस्ता हिन्दू धर्म मिलता है भरपूर मजाक उड़ा कर बढ़िया माल बना लिया जाता है | मगर दिल्ली के दंगे हों , मेरठ के दंगे हों , बंगलौर के दंगे हों , खुदा झूठ न बुलवाए उन्हें रत्ती भर भी डर नहीं होता ,उन्हें पता होता है , अब तो अपने लड़के ह्यूमन चेन वेन भी बना रिये हैं |
ये तमाम गैंगबाज ऐसे मौकों पर ऐसे जाकर अपने खोलों में छिप जाते हैं जैसे कछुए अपनी खोल में बैठ जाते हैं | असल में समझने वाली बात ये है कि हर बात का एक दौर हुआ करता है | और दौर चाहे जिसका भी जितना भी लंबा हो वो बदलता ही है | सत्तर सालों में देश ने बहुत कुछ देखा और बहुत कुछ बदला भी है |
आमिर खान जैसे कलाकार ,एक अभिनेता के रूप में भले ही अपनी काबिलियत और ख्याति अर्जित कर ली हो ,किन्तु जब बात देश की , जब बात समाज की , जब बात किसी भी समस्या की होगी तब ये और इन जैसे तमाम महान बन चुके कलाकार निहायत ही स्वार्थी और कृतघ्न की तरह व्यव्हार करते हैं | इन्हें खूब पता है कि इनके कथ्य और व्यवहार का प्रभाव सरकार ,समाज और दुनिया पर कैसा और कितना पड़ेगा ,इसलिए जब ये नई सरकार के आने के बाद ये कहते हैं कि , “इस देश (भारत) में रहने में मुझे और मेरे परिवार को डर लगता है ” ,तो इसके पीछे छिपी मानसिकता भी लोगों को आसानी से समझ में आ जाती है |
ये विशेष समुदाय से आने वाले और हिंदी सिनेमा में अपनों जैसों को मिलाकर गैंग /गुट बना कर अपनी मनमानी करने वाले ये तमाम खान , सलमान ,आमिर, शाहरुख , सैफ अली , आदि अपनी फिल्मी दुनिया में पैसे कमाने के लिए तो बिलकुल निरपेक्ष हो जाते हैं , कोई भी धर्म पंथ का नाम काम सब भेष धर के आ जाते हैं | किन्तु वास्तविक जीवन में मानसिक और सामाजिक रूप से मज़हबी कट्टरता का चोला ओढ़े रहते हैं |
आमिर खान जैसे अभिनेताओं की असलियत तभी उजागर हो जाती है जब वो सत्यमेव जयते जैसे कार्यक्रमों में सारे धार्मिक आडंबरों अंधविश्वासों पर तो चोट करते हैं , अपनी फिल्म पीके में सबको रॉन्ग नंबर घोषित कर देते हैं मगर भूले से भी कभी मुस्लिम धर्म में छाए अंधविश्वास ,कुरीतियां ,मज़हबी कट्टरता आदि पर एक शब्द भी नहीं बोलते | और तो और जब दिल्ली और मुम्बई में ये विशेष समुदाय दंगे फसाद कर पूरे देश को जला रहे होते हैं | इनमें से कोई भी आकर न तो इसे गलत कहता है और न ही इन प्रवृत्तियों को बंद किये जाने का आग्रह करता है | वास्तव में इन जैसे अभिनेताओं का अपना निज स्वार्थ , राज्य ,समाज ,देश इन सबसे ऊपर रहता है हमेशा ही |
और हम जनता जनार्दन को चाहिए कि इनसे समय समय पर पूछते रहें ,
आमिर खान जी , दिल्ली कलकत्ता मुम्बई और बगलौर जब जल उठता है धधकने लगता है तब तो आपको डर नहीं लगता न ??
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