मथुरा में जन्माष्टमी के मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐलान किया कि मथुरा में शराब और मीट की बिक्री नहीं हो सकेगी । जैसे ही योगी जी ने यह ऐलान किया वैसे ही लिबरल वामपंथियों का समूह उनके इस फैसले को फासीवादी ठहराने के लिए जुट गया , मथुरा मुद्दे पर योगी सरकार को घेरने से पहले मगर यह लोग भूल गए कि यह सोशल मीडिया का जमाना है और यहां जनता को सब कुछ याद रहता है । द वायर की आरफा खानुम ने योगी सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए लिखा कि बहुसंख्यक लोग अब यह तय कर रहे हैं कि हम लोग क्या खाएंगे और क्या पिएंगे ? 


साफ है कि इनको इस बात पर आपत्ति है कि योगी सरकार ने मथुरा में शराब और मांस बैन कर दिया है। इनका कहना है कि “बहुसंख्यक” ये तय कर रहें हैं कि “अल्पसंख्यक” क्या खाये, क्या पहनें। मगर क्या इन्होंने यही सवाल पवित्र मुस्लिम धार्मिक स्थल मक्का-मदीना के लिए उठाया??? जहाँ शराब और सूअर का मांस प्रतिबंधित है। यानी मक्का के लिए जो सही है, वो मथुरा के लिए गलत क्यों है??? और अगर पूरी तरह सिर्फ मथुरा की बात करें तो ये फैसला यहां रहने वाले उन हिंदुओं पर भी लागू होगा जो शराब और मांस का सेवन करते हैं। लेकिन हर खबर में सिर्फ एक वर्ग विशेष के लिए आवाज उठा कर यह लोग अपनी छोटी मानसिकता का परिचय देते हैं।

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