हम हैं असली हिंदू
कट्टर हिंदू और परशुरामी हिंदू
हमारी राष्ट्रवादिता सबसे बेहतर ।
आजकल फ्रांस की लैब द्वारा भारत की दस प्रतिष्ठित कंपनियों के शहद को घटिया करार दिए जाने के बाद जैसे सब का राष्ट्रवाद उफान मारने लगा है पर सिर्फ बाबा रामदेव के पतंजलि शहद को लेकर । बाकी 9 कंपनियों के मिलावट से कोई सरोकार ही नहीं । क्यों ?
घटिया तो दस की दस कंपनियां साबित हुई है फिर एक को ही ले कर विधवा विलाप क्यों ?
लैब भी विदेशी है पर इससे फर्क नहीं पड़ता पर विदेशी रेटिंग एजेंसी यदि भारतीय अर्थब्यवस्था की तारीफ कर दे तो अपच हो जाता है ।
गद्दार कांग्रेस की आतंकवादियो/नक्सलियों/वामपंथियों/भ्रष्टाचारियों के गठजोड की हकीकत खुल के आ गयी पर इससे फर्क नहीं पडता ?
राहुल गांधी पैसे के बदले MOU साइन करता है तो उसे प्रधानमंत्री का दावेदार मान लिया जाता है ।
नेहरू की वजह से पाकिस्तान POK और चीन लद्दाख/तिब्बत पर कब्जा कर लेता है तब भी नेहरू महान था ।
अतिमहत्वाकांक्षी और श्रेय का भूखा पक्षपाती मोहनदास करमचंद गांधी जीते हुए सरदार पटेल की जगह नेहरू को प्रधानमंत्री बना देते हैं, धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करने के बाद भी उन्ही बेगैरतों से छाती पर मूंग दलवाते हैं तब भी उसे बापू बना लिया जाता है ?
राजनैतिक हत्या/ एमरजेंसी के द्वारा लोकतंत्र की हत्यारी इंदिरा को दुर्गा मान लिया जाता है पर देश को बचाने के लिए सनकी बूढ़े का बध करने वाले हुतात्मा गोड्से को हत्यारा और शहीदे-आजम भगतसिंह को आतंकवादी पर किसी को फर्क नहीं पडता ?
कारसेवकों पर गोली चलवाने वाला, मंदिरों के घण्टे उतरवाकर मस्जिदों में अफ्तार करनेवाले से कोई शिकायत नहीं पर दंगाइयों से नुकसान की भरपाई करवानेवाले योगी से नफरत है ?
हम सचमुच सनातनी, कट्टर, परशुरामी बिराहमन और सच्चे और भयंकरवाले राष्ट्रवादी हैं ?
हैं ना?
जय जय श्री राम
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