8 मार्च यानि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस. इस तारीख को हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. हर साल इस मौके पर न्यूज चैनलों से लेकर अखबारों और अब सोशल मीडिया पर भी महिलाओं के अधिकार, उनके उत्थान और उनकी समानता को लेकर बड़े-बड़े संदेश दिये जाते है. लेकिन आज इस मौके पर हम एक विज्ञापन के बारे में बताने वाले हैं. वैसे ये विज्ञापन तकरीबन एक हफ्ते से वायरल हो रहा है. लेकिन धीरे-धीरे इस विज्ञापन के देखकर नाक-भौंए सिकुड़ने वाले लोग सामने आ रहे हैं, तो लगा कि आज के दिन से बेहतर और क्या हो सकता है नकली नारीवाद का माला जपने वाले तथाकथित बुद्धिजीवियों को जबाव देने के लिए. जिसके जरिये नकली नारीवाद को एक गहरी चोट दी जा सकती है.

दरअसल महिलाओं और उनकी लाइफस्टइल को दिखाता प्रेगा न्यूज़ का नया विज्ञापन इन दिनों काफी सुर्ख़ियां बटोर रहा है .जिसमें ये दिखाने की कोशिश की गई है कि कैसे एक महिला मातृत्व के साथ-साथ अपनी नौकरी भी बखूबी संभाल पाती है, कुछ मिलाकर वो मातृत्व को बोझ नहीं बल्कि उसपर गर्व करती है. लेकिन मातृत्व को अब तक स्वैच्छिक बताने वाली फेमिनिस्ट और बच्चों को एक तरह से बोझ बताने वाले वामपंथी अपने एजेंडे से परे एक विज्ञापन को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. जिसकी वजह से इस विज्ञापन को लेकर विरोध भी शुरू हो गये.

(www.youtube.com/watch?v=fWFtFxb8G7I)- विज्ञापन का लिंक

इसमें दिखाया जा है कि एक मॉडल जिसकी हाल ही में शादी हुई है, वह अपने मॉडलिंग करियर को लेकर चिंतित है और वह इस बारे में बार बार सवाल कर रही है कि क्या उसे यह बच्चा चाहिए। वह अपना करियर आगे बढाने के लिए दूसरे शहर जाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुंचती है तभी वहां के वेटिंग रूम में उसे एक महिला दिखती है जो बिल्कुल भारतीय परिधान में होती है, साड़ी और माथे पर बड़ी सी बिंदी और उसके गोद में एक बच्चा .

वहीं दूसरी तरफ एक महिला अपने लैपटॉप पर काम कर रही है और उसमें एक अलग घमंड दिख रहा है। फिर साड़ी पहनी महिला के बच्चे के दूध की बोतल गिर जाती है ना तो उस बोतल को वह मॉडल उठाती है ना ही लैपटॉप पर काम करने वाली लेडी. फिर वहां सफाई करने वाली महिला आती है और बच्चे के दूध की बोतल को उठाती है और वो कहती है कि उसके तीन बच्चे हैं और वह तलवे सहलाकर बच्चे को चुप कराती थी। ठीक उसी तरह महिला ने अपपे बच्चे के तलवे सहलाये तो बच्चे का रोना बंद हो गया .

लेकिन फिर वो सीन आता है जिसे देखकर वामपंथी धड़ा भड़क गया है. विज्ञापन में लैपटॉप पर जो महिला काम कर रही है वह उस सफाई करने वाली महिला को उसके काम के आधार पर पिछड़ा बताती है लेकिन सफाईकर्मी बड़े ही आदर के साथ जवाब देते हुए कहती है कि “मुझे नहीं पता कि आपकी नजर में आगे बढ़ना क्या होता है, पर मैं अपने बच्चों की नजर में आगे हूं। ”

इसके बाद लैपटॉप वाली महिला अपना ज्ञान बांटते हुए बच्चे की मां को कहती है हाउस वाइफ हो ना अगर घरबार और नौकरी दोनों संभालना पड़े तो समझ आ जाएगा तुम्हें . उसके बाद बेहद ही सलीके और मुस्कुराते हुए महिला कहती है आसान नहीं है इस बच्चे के साथ शहर के law and order को संभालना है, तुरंत ही वहीं खड़ी मॉडल उस महिला से पूछती है कि वह कौन है तो वह कहती है कि “मैं सीमा रस्तोगी, एसएसपी झांसी। यह बात सुनकर उस मॉडल की मानों आंखे खुल गई, कि मातृत्व कमजोरी नहीं ताकत होती है और फिर विज्ञापन का अंत में एसएसपी के हाथों में एक मैगजीन आता है जिसमें उसी मॉडल की प्रेगनेंसी की तस्वीर होती है साथ में थैंक्स लिखा होता है।

जाहिर है कुछ मिनटों का ये विज्ञापन वामपंथियों के लिए और नकली नारीवाद पर भाषण देने वालों के लिए किसी सबक से कम नहीं है जो बिना किसी सिर-पैर के हर दिन बिना किसी ज्ञान के फेमिनिज्म को लेकर ज्ञान बांटते फिरते है। आज के दौर में देखा जाए तो कई ऐसी महिलाएं हैं जो घर और बच्चों का साथ अपनी नौकरी भी बखूबी संभाल रही हैं. एक मां होने का नाते मैं इतना तो जरुर कह सकती हूं कि वह अपने मातृत्व को कभी उस तरह का बोझ नहीं समझती है जैसा वामपंथियों ने  बना दिया है। वामपंथी इस विज्ञापन को देखकर इतना भड़क उठे कि प्रेगान्युज़ पर फेमिनिस्ट हमले शुरू हो गए हैं और कहा जा रहा है कि यह स्त्री विरोधी विज्ञापन है और यह महिलाओं को बांट रहा है। preganews के इस विज्ञापन ने कुछ ही मिनटों में ये दिखा दिया कि आज की कामकाजी महिलाएं हो या फिर कोई गृहणी उसके लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं है .

kreatelyMedia की तरफ से भी आप सबों को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत शुभकामनाएं

 

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