वैसे तो इस साल को बहुत लोग याद नहीं करना चाहेंगे लेकिन आप इस साल को भूल भी नहीं सकते। हर नए साल की तरह 2020 का भी विश्व ने उसी गर्मजोशी से स्वागत किया था जैसा कि हर साल होता है। फिर मार्च आते आते ऐसा क्या हुआ की लोग इस साल को भुलाने के लिए कहने लगे, आइए समझते है।

पूरी दुनिया महामारी से जूझ रही है। हर देश की अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है। बेरोजगारी भी अपने चरम पर है। बहुत सारे देशों के बीच संबंध भी अच्छे नहीं रहे।

इन सबके बीच 14 जून तारीख आती है जब पता चलता है कि एक अभिनेता ने तथाकथित आत्महत्या कर ली है। और 15 जून को भारत और चीन के बीच पाषाण कालीन कला का युद्ध हो जाता है। यहीं से शुरू होती है मेरी 2020 को समझने की कोशिश।

मेरा ये मजबूती से मानना है की यदि कोरोना महामारी प्राकृतिक है तो फिर ये साल कर्मा का साल है। ये साल मानव समाज को सिखा रहा है की अर्थव्यवस्था के नाम पर प्रकृति का शोषण बंद हो। मात्र 21 दिन के प्रथकवास में प्रकृति ने अपने आप को स्वस्थ कर लिया था जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण गंगा नदी के जल में दिखता है लेकिन आज का मनुष्य प्रकृति का शोषण किए बिना नहीं रह सकता। मनुष्य प्रकृति से तो सब कुछ ले लेता है लेकिन देता कुछ नहीं है और जब कोई प्रलय आती है तब हम लोग कुछ घंटे इसके बारे में विचार करते है लेकिन ठोस कदम कोई नहीं लेता।

इस साल ने जो सबसे अच्छा काम किया है वो है बॉलीवुड को बेनकाब करने का। कभी मैंने सोचा भी नही था की एक तथाकथित आत्महत्या पूरे बॉलीवुड के पतन का कारण बन जायेगी। पुलिस द्वारा 20 मिनट में आत्महत्या की घोषणा करना , सोशल मीडिया में इस मुद्दे का बिलकुल ही अलग पक्ष होना, बिहार पुलिस के आईपीएस रैंक के अफसर को कार्यवाही न करने देना, एक मशहूर अभिनेत्री का घर तोड़ना और भारत के वर्तमान समय के सबसे बड़े पत्रकार का जेल जाना। इन सब घटनाक्रमों का एक ही कारण है और वो है एक तथाकथित आत्महत्या। लोगो में अभी भी रोष है क्योंकि जांच एजेंसी की जांच की गति धीमी है। देखते है की क्या रिपोर्ट आती है।

ये साल अगर किसी के लिए बुरा रहा है तो वो है ड्रग्स का सेवन करने वालो के लिए। ऐसे ऐसे सुपरस्टार का नाम ड्रग्स केस में आएगा ये तो कभी किसी ने नही सोचा था। नाम नहीं लिखूंगा लेकिन लोग बेनकाब हो रहे है ये बहुत जरूरी है।

अगर अपने पड़ोसी देशों की बात करे तो चीन का बेनकाब होना जरूरी था। 40 साल बाद हमारे सैनिक चीन के कारण शहीद हुए जिसका जवाब भी उन्हें भरपूर मिला। इस साल हिंदी चीनी भाई भाई नारे ने हिंदी चीनी बाय बाय का सफर तय किया है। लोग जागरूक है और चीनी वस्तुओ का बहिष्कार कर रहे है। हमें ये जारी रखना है।

इन सबके के बीच कुछ अच्छी बाते भी हुई है। लोगो ने अपने परिवार के साथ समय बिताया। घर से काम करने का अवसर भी बहुत अच्छा रहा। भगवान करे की लंबे समय तक ये अवसर बना रहे लेकिन वैक्सीन भी जल्दी ही आए।

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