आज आपको बताते हैं लोकल चैनल भारत समाचार और उसके मालिक तथाकथित पत्रकार ब्रजेश मिश्रा का सच। सच जानने के लिए बृजेश मिश्रा की डेढ़ दशक की तथाकथित पत्रकारिता के इतिहास को भी जानना जरूरी है। पार्ट टाइम पत्रकार से चैनल का प्रोपराइटर बनने और अरबों की संपत्ति जुटाने की कहानी भी सनसनीखेज है।

बृजेश मिश्रा 2003 से पहले एक अखबार का संवाद सूत्र हुआ करता था। 2003 में वो जुगाड़ से ईटीवी लखनऊ में अभय आदित्य नाम के प्रोड्यूसर का असिस्टेंट बन गया। बृजेश को चापलूसी में महारत हासिल है इसलिए शीघ्र ही वह अभय आदित्य का विश्वास पात्र बन गया और इंटरव्यू आधारित प्रोग्राम दो टूक करने लगा । “दो टूक” प्रोग्राम से इसने बड़े-बड़े नेताओं से दोस्ती गांठी। इस कार्यक्रम को इसने लाइजनिंग का जरिया बना लिया। 2005 में हैदराबाद में बैठे कुछ मैनेजर्स को साध कर यह ईटीवी उत्तर प्रदेश का न्यूज़ कोऑर्डिनेटर बन गया और फिर कोऑर्डिनेटर से देखते-देखते संपादक बन गया। इसने अपने काम से नहीं चौराहे चौराहे अपनी होर्डिंग लगाकर अपना प्रचार करना शुरू किया। ऐसा व्यक्ति पत्रकार है, नेता है या दलाल या लाइजनर इसका फैसला लोग खुद करें। अखिलेश सरकार के दौरान लखनऊ के सभी प्रमुख चौराहों पर इसकी होर्डिंग दिख जाती थी जिसमें यह सिर्फ अपने चेहरा दिखा अपना प्रचार करता था। रामोजी राव हैदराबाद की रामोजी फिल्म सिटी में बैठे-बैठे देखते रह गए और इसने पैसा कमाना शुरू कर दिया। खूब पैसा कमाया। लेकिन ईटीवी जब नेटवर्क 18 के पास चला गया तो अंबानी की कंपनी में बृजेश की दाल नहीं गली।

उसने नौकरी छोड़ दी और अपनी नई दुकान भारत समाचार चैनल के नाम से खोल ली। शुरू से ही चैनल का उद्देश्य सच दिखाना नहीं बल्कि सनसनी फैलाना और इसकी आड़ में ब्लैक मेलिंग करना, दलाली करना था। जैसा कि यह कोरोना काल के दौरान भी करता रहा।

ब्लैकमेलिंग और दलाली की बदौलत देखते-देखते डेढ़ दशक में यह कई सौ करोड़ का मालिक बन बैठा। बृजेश मिश्रा अपने कर्मचारियों को ठीक से वेतन नहीं देता है लेकिन दलाली से करोड़ों कमाता है। इसी कारण भारत समाचार चैनल में कोई अच्छा पत्रकार देर तक टिकता नहीं। ईटीवी के समय से ही समाजवादी पार्टी और बृजेश मिश्रा एक दूसरे के अनुकूल रहे हैं क्योंकि दोनों ही ठेकेदारी, दलाली और एजेंडे को लेकर काम करते हैं। लेकिन जब 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार ने सत्ता संभाली तब से भारत समाचार के बुरे दिन शुरू हो गए। क्योंकि सीएम योगी ने एक एक कर इसकी ठेकेदारी और दलाली पर अंकुश लगाना शुरू कर दिया।और जब आयकर का छापा पड़ा तो इसकी काली कमाई का पूरा सच सामने आने आ गया। योगी सरकार ने कभी भी किसी न्यूज़ चैनल या पत्रकारों पर दबाव डालने की कोशिश नहीं की। लेकिन पत्रकारिता की आड़ में काली कमाई करने वालों पर अंकुश जरूर लगाया है। अब इनकम टैक्स विभाग ने बृजेश मिश्रा की काली कमाई का पूरा काला चिट्ठा जनता के सामने रख दिया है। सही गलत का फैसला आपको विवेक से करना है।

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