जय श्री राम ,
आज के सोशल मीडिया के प्रभावशाली सेलिब्रिटी, युवाओं पर जिस तरह से प्रभाव डालते है मानो वहीं उनके माँ बाप हो और युवा भी उनकी बातो पर आँख मूंद कर बिना कुछ सोचे समझे विश्वास कर लेते हैं I कल ही की बात है दिवाली पर उन प्रभावशाली सोशल आइकॉन ने प्रदूषण का बहाना देकर दिवाली पर पटाके एव आतिशबाज़ी ना करने की सलाह दी और आज जो प्रदूषण की स्थिति है उसका सारा आरोप दिवाली पर होने वाले पटाखों पर डाल दिया I क्यूँकि जिस एयर कंडीशनर में बैठ कर वह ,वो पोस्ट डाल रहे होते है और जिस गाड़ी में वह इधर उधर वीडियो बनाने के लिए काम घूमते रहते है , उससे तो पर्यावरण में शुद्धि और ऑक्सीजन की मात्रा में भारी इजाफा होता है I

नवरात्री पर भी इसी प्रकार देवियों की तस्वीरों की तुलना रैप शिकार लड़की से की जाती हैं , यह दर्शाया जाता हैं की हिन्दू साल भर लड़कियों का रैप करते है और नौ दिन तक नारी को पूजने का ढोंग करते हैं जबकि रैप किसी धर्म विशेष द्वारा नहीं बल्कि यह तो एक मानवता पर धब्बा हैं I क्या रैप सिर्फ हिन्दुओं द्वारा किया जाता हैं? , क्या हिन्दू देवियों की तुलना रैप शिकार से की जानी सही हैं ? किसी का भी उत्तर तो “ना” ही होगा I लेकिन युवा इसे भी सोशल मीडिया पर शेयर करने को कूलनेस ही समझेंगे और अपने ही धर्म के बारे में गलत दिखा कर खुद को अलग खड़ा पाएंगे और उससे कूलनेस समझेंगे जबकि उनके ही घरवाले भगवान् को पुरे मन से चाहते होंगे , लेकिन कूल और सबसे अलग देखने के लिए वह यह करने को तैयार होंगे I

“जय श्री राम” बोलना कूलनेस के खिलाफ है ” , अगर आप ऐसा सोचते है तो मुबारक हो आप आज के कूल और मॉडर्न युवा है!!

“मंदिर की जगह अस्पताल खुलवाने की मांग रखना , दिये जलाने को पैसे की बर्बादी कहना , शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की जगह उससे किसी और को पिलाने की राय देना ” यही तो है आजकल की कूलनेस I

यही लोग किसी पार्टी में केक को एक दूसरे के मूह पर पोतने को बर्बादी नहीं समझते , उसे पैसो की बर्बादी नहीं समझते ,खैर समझते तो वह कुछ भी नहीं है I

यह लेख किसी समुदाय को किसी दूसरे समुदाय को भड़काने के लिए नहीं है बल्कि खुद के धर्म का अर्थ और उसकी इज़्ज़त करना सिखाता है ,

“धर्म है तो हम हैं और हम हैं तो धर्म हैं “

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