कुमार विश्वास के उपर्युक्त ट्विट से पता चलता है की अब कविराज प्राइवेट यानि आम  जनता नही  निजी  यानि सरकारी श्रोता चाहिए ? कविराज लेखनी को ध्यान से पढियेगा , एक कवि की तरह l बुरा मानना  चाहो  तो आप मान सकते हैं l इतने बर्षों तक कोई दीवाना कहे  और कोई पागल कहे तो  नाराजगी लाजमी है l दुबई  मुशायरा में प्राइवेट प्लेन में बैठ कर , प्राइवेट हॉल में कविता पढ़ पढ़ कर , प्राइवेट मोबाइल नंबर पर , प्राइवेट  लोगों से , प्राइवेट बधाई पाकर मन  तो उब गया होगा  आपका ?

टैक्स देते हैं प्राइवेट प्लेन में  और  पानी /बिजली  सरकारी  चाहते  हैं l घर  बैठे  बैठ  गूगल से रुपया तुरंत भेज देते हैं और UPI APPS कविराज के याद में आंसू बहाने लगता है l क्या  करें  कवि मन है , निश्छल है , दुःख देखा नही जाता l मुझे पता है फ्लिप्कार्ट से या अमेज़न से आपने कोई सामान आज तक नही मंगाया, प्राइवेट कंपनी को पैसा – ना ना !!

जब स्कूल /कालेज के दिनों में आप थे तो कभी पिता या माताजी ने आपको प्राइवेट अस्पताल में नही दिखाया , उस परम्परा को निभाते हुए आज भी आप सरकारी अस्पताल सफदरजंग में दिखाते हैं lवह तो बस रुपया कमाने के लिए प्राइवेट दोस्त , प्राइवेट मुशायरा अटेंड करते हैं l इंजीनियरिंग भी की तो सरकारी इंस्टिट्यूट से ! है की नहीं कवि कुमार ?

अभी अभी सरकारी ट्विटर का उपयोग करते करते आपने अपनी बात कही तो बरबस आपको आपके कर्म और  मुखारबिंदु में थोड़ा सा चंद्रबिंदु का अंतर पाया तो सोचा लोगों से और आप से कह दूं l बांकी लगे रहिये , एक आप ही थोड़े ना पार्टी है ! राज्यसभा आप जायेंगे , बहुत दल है l सरकारी श्रोता अब दूर नही !!

_दिशवWrites

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