23 साल का लवी कुमार कोरोना पॉजिटिव और परिवार से दूर

मरने वाले के खुद के हाथ मे रिवाल्वर और गोलियां मिली

Qunit, Wire जैसे पब्लिकेशन के द्वारा चलाई गई झूठी खबर कि ये 16 लोग संघ के कार्यकर्ता

नार्थ इस्ट दिल्ली में फरवरी महीने में भड़के दंगे में साहिल परवेज ने अपने अब्बा को खो दिया। उनकी निशानदेही पर 16 लोगों पर हत्या का मामला बनाया गया लेकिन साहिल की पूरी कहानी में पेंच ही पेंच है। साहिल बार—बार अपना बयान बदलते रहे। क्विंट ने अपनी रिपोर्ट में उन 16 लोगों को आरएसएस का मेम्बर बताया है। जबकि यह सच नहीं हैं।


अब लगता है कि क्विेंट की रिपोर्टर को साहिल ने या उनके लोगों ने ही बताया होगा कि वे सोलह लोग आरएसएस के सदस्य हैं। साहिल के बार—बार बदलते बयान से उनके कहे पर यूं भी यकिन नहीं किया जा सकता।


साहिल परवेज के घर के आस—पास के लोग ही कह रहे हैं कि उनकी हत्या आपसी रंजिश में भी हो सकती है। उनकी जमीन को लेकर किसी रिश्तेदार से लड़ाई भी चल रही थी। इस एंगल पर भी जांच एजेन्सियों को पूरे मामले को देखना चाहिए। एक दर्जन से अधिक जिन्दा कारतूस मृतक के पास से रिवाल्वर के साथ मिली।

जबकि कथित तौर पर वे नमाज पढ़ने दंगाग्रस्त क्षेत्र के बीच से होकर गुजर रहे थे जबकि उनके घर के अंदर वाली गली से वे कम समय में नमाज पढ़ने जा सकते थे। वे रिवाल्वर और जिन्दा कारतूस लेकर किसके शिकार पर निकले थे? इस एंगल से भी जांच अभी शेष है।


अब कहा यह भी जा रहा है कि साहिल परवेज ने अपने अब्बा के ‘इंतकाल’ को जस्टिस की जगह Ideology की लड़ाई बना दी है। क्या उन्हें लगता है कि वे न्याय की लड़ाई लड़ेंगे तो उनके अपने ही इसके जद में आ सकते हैं? इन्हीं वजहों से उनके बदलते बयानों पर अब सवाल तो उठने ही लगे हैं….


हत्या के मामले में आरोपी बनाए गए लवी कुमार इस वक्त कोविड पोजिटिव हैं। वे मात्र 23 साल के हैं। उन्हें परिवार के लोगों को दूर से भी नहीं देखने दिया जा रहा। पूरा परिवार इस वक्त सदमे में है। उन्हें नहीं पता कि बेटे की हालत क्या है? पुलिस भी उन्हें जानकारी नहींं दे रही है।

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