विश्व में दो चीजें कभी नहीं बदल सकती, पहली चीन की नियत और दूसरी पाकिस्तान की बेवकूफी! पाकिस्तान ने अब भारत को रोकने के लिए अमेरिका को धमकी दे दी है। कल पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा कि भारत पाकिस्तान पर एक बार फिर से सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग कर रहा है और यह हमला अफगान शांति समझौता पर नकारात्मक असर डाल सकता है।

दरअसल, पाकिस्तान से तालिबान बातचीत कर रहा है और इसी के ऊपर उसने धमकी दी है कि अगर भारत स्ट्राइक करता है तो वह अफगान शांति समझौते को होने नहीं देगा जो अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है।

रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने UAE के दो दिवसीय दौरे पर कहा कि भारत सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बना रहा है और यह हमला अफगान शांति समझौते के लिए घातक होगा जो तालिबान से बातचीत करके पाकिस्तान करवा रहा है

तालिबान, जिस पर पाकिस्तान का काफी प्रभाव है, वह और अफगानिस्तान के सरकारी प्रतिनिधि पिछले दो महीनों से कतर में एक शांति समझौते की कोशिश करने और युद्ध को समाप्त करने के लिए बातचीत कर रहे हैं।

पड़ोसी अफगानिस्तान में शांति के बढ़ते कदमों के बीच पाकिस्तानी सरकार के नेताओं के साथ बातचीत के लिए इस सप्ताह एक तालिबान की टीम इस्लामाबाद भी पहुंची थी।

लेकिन इसका भारत के हमले से क्या लिंक है?

यह कुछ और नहीं बल्कि पाकिस्तान की अमेरिका को एक धमकी है, जिससे वह भारत से बचने के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका अफगान शांति समझौते को बचाने के लिए भारत पर हमला न करने के लिए दबाव बनाए।

अगर रणनीतिक स्तर पर देखा जाए तो यह पाकिस्तान की एक चाल है, जिससे वह भारत और अमेरिका के बीच एक दीवार खड़ी करना चाहता है जिससे दोनों देशों के बढ़ते संबंधों में रुकावट आए। आज भारत का कद इतना बढ़ चुका है कि सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि विश्व के सभी ताकतवर देश उसे अपना सहयोगी बनाना चाहते हैं। हाल ही में अमेरिकी काँग्रेस ने एक अहम निर्णय में 740 बिलियन डॉलर मूल्य की रक्षा नीति विधेयक को पारित किया है, जिसमें चीन द्वारा भारत पर किए गए हमले के पर अमेरिका के सख्त रुख को भी दर्शाया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि चाहे कुछ भी हो जाए, पर अमेरिका भारत के साथ खड़ा रहेगा। यही पाकिस्तान को हजम नहीं हो रहा है और वह अफगान शांति समझौते में बाधा डालने के लिए भारत पर आरोप लगा कर अमेरिका को ब्लैकमेल करना चाहता है।

पाकिस्तान यह समझता है कि अफगानिस्तान अमेरिका के लिए एक बड़ा मुद्दा है और ट्रम्प की हार के बाद अब जो बाइडन के आने से एक बार फिर से यह मुद्दा गरमाएगा। कुछ दिनों पहले अमेरिका के Joint Chiefs of Staff Gen. Mark Milley ने भी कतर में तालिबान के साथ बातचीत शुरू की थी और उनके अनुसार अफगानिस्तान अभी भी अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है। इसी बात का पाकिस्तान फायदा उठाना चाहता है, जिससे भारत पर दबाव बनाया जा सके।

पाकिस्तान शुरू से ही आतंकियों का गढ़ रहा है और तालिबान को मजबूत करने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब वह यह धमकी दे रहा है कि अगर भारत को पाकिस्तान पर हमला करने से नहीं रोका गया तो वह तालिबान के साथ इस शांति समझौते को नहीं होने देगा। यही नहीं, भारत कश्मीर में पाकिस्तान के किसी भी मंसूबे को सफल नहीं होने दे रहा है और यदि वह POK में आतंकी गतिविधियों का स्तर बढ़ाएगा तो भारत एक बार फिर से सर्जिकल स्ट्राइक से पीछे नहीं हटेगा। इस कारण भी पाकिस्तान चाहता है कि भारत पर दबाव बन सके और वह अपने आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सके। यानि कहा जाए कि पाकिस्तान अब अपनी क्षमता से बढ़ कर अमेरिका को ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है तो यह गलत नहीं होगा।

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