सभी धर्मो में एक ही मान्यता है
हिन्दू इसे मोक्ष कहता हूँ
मुसलमान इसे जन्नत कहता है
जैन इसे निर्वाण प्राप्ति कहता है
ईसाई इसे परमेशवर में विलीन होना कहता है

थोड़ी कमी है मेरे ज्ञान में सबके समविज्ञिप्त शब्द नहीं जानता
परन्तु पंथ विशेष की बात करूँ तो
अंत में हर कोई
अपने भगवान में विलीन होना चाहता है

अनंत एक ही है
और अगर वर्षो में गणना करें तो
सभी सनातन में विलीन हैं

कभी झूठ कभी सच
बोल कर
सभी एक
परमेश्वर का अंश ही बनना चाहते हैं

कोई भी पूजा पद्धति नहीं है
कोई किसी भी मास(Mass) में नहीं जाना चाहता ( जब तक की पैसे दे कर पंथ परिवर्तन ना किया गया हो )
कोई नमाज नहीं पढ़ना नहीं चाहता (जब तक कर में रियायत के नाम पर पंथ परिवर्तन नहीं किया गया हो )
सिख तो… हिन्दू ही हैं
बस मुस्लिम संप्रदाय के दबाव में या ये कहूं
एक आक्रांता से बचने के लिए, एक उनके ही जैसा अपने भगवान् को मानने का तरिका अपनाया था बस।।

बचने के लिए सभी पर्याय उपयुक्त होते हैं.
मुसलमान टोपी उतार लेता है
ईसाई नाम छुपा लेता है
सरदार केश कटवा(१९८४ के दंगे ) लेता है

सभी सन्दर्भों को जोड़े तो सच एक ही है
किस बात के पीछे कोई विज्ञान छुपा है
जिससे परम पिता (ब्रह्मा)की प्राप्ति हो सके
उसकी प्राप्ति के लिये ही सभी पंथ कार्य कर रहे है

कोई उसे अब्राहम कहता है
कोई अल्लाह कहता है
कोई।।।।।

सच जानो
ना हिन्दू
ना मुस्लिम
ना ईसाई

सच सिर्फ सनातन ही है

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