महाभारत के गदाधारी भीम मुझे उनके भाई अर्जुन से ज्यादा पसंद है। हालांकि भीम इसलिए नहीं पसंद हैं कि उनका डील डौल भारी था या वे बहुत शक्तिशाली थे। बल्कि इसलिये हैं कि उनकी हर कहीं, हर किसी से, ठन जाती थी।
मतलब कि वे चौधरी थे, दादा थे, लड़ाके थे, सब कुछ थे। पर लिजलिजे टाइप के नहीं थे। जो थे सबके सामने थे। विरोध भी तुरंत करते और जरूरत पड़ती तो सबक भी वहीं सीखा देते थे। न गलत करते थे, न बर्दाश्त करते थे। गलत होने पर लताड़ भी देते थे।
हां, द्रुतसभा की स्थिति थोड़ी दुर्भाग्यपूर्ण थी, लेकिन अगर बड़े-बुजुर्गों ने भीम को न समझाया होता तो वे वहीं कुछ न कुछ कर देते। भीम सभी भाइयों के अगुआ थे और सभा में जो शपथ लिया था उसे महाभारत मे पूरा किये थे।
भीम सामाजिक कार्यो में भी आगे थे और ऐसी भी लड़ाइयां लड़ी जो वनवासियो और ग्रामीणों के हक में थे। उन्होंने हीडिम्ब वन में सदियों से जकड़े लोगों को मुक्ति दिलाई तो उस, राक्षस बकासुर को मौत के घाट उतार दिया, जो एकचक्रनगर गांव में, हर रोज एक आदमी को अपना निवाला बनाता था।
भीम लोहा लेने में माहिर थे और कृष्ण की रणनीति के तहत जरासन्ध वध करके एक बड़ी चुनौती महाभारत के शुरू होने के पहले ही खत्म कर दिए थे। द्रौपदी के अपमान पर कीचक के कचूमर को निकालने का कार्य भी महाबली भीम ने ही किया था।
यूँ तो भीम रणभूमि से लेकर जंगल, अज्ञातवास तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे। पर द्रौपदी के प्रति उनका प्रेम व उनके सम्मान में लिया गया प्रण मुझे उनको पसंद करने को मजबूर करता है।
प्रतीकात्मक चित्र
वे वज्र जैसे कठोर थे तो फूल जैसे कोमल भी थे। वे भोले-भाले, सीधे-साधे और राजनैतिक दांव पेंच जानने वाले न थे, लेकिन उदंड, महाक्रोधी और रणभूमि में शत्रुओं का संघार करने वाले विजेता थे।
उन्होंने दुरात्मा दुर्योधन और दुशासन को दंड दिया और परम प्रेमी और धर्मात्मा होने का भी परिचय दिया। वे हमेशा पांचाली का साथ देते रहे और जब अंतिम यात्रा के दौरान नाली ने द्रौपदी का रास्ता रोका, तब भीम स्वयं पुल बनकर लेट गए थे।
लोग कहते होंगे, पति अर्जुन जैसा सुंदर और परमवीर होना चाहिए। यशस्वी और समशीर होना चाहिए। हम कहते हैं। पति भीम जैसा अख्खड़, अनगढ़, निश्चल और गंभीर होना चाहिए। नारी के अपमान पर दुर्योधन का जंघा तोड़ दे, ऐसा वीर होना चाहिए।
प्रतीकात्मक चित्र
भीम के चरित्र का सबसे बड़ा पहलू ही यही था कि वे पति के रूप में पांचो भाइयों में सर्वश्रेष्ठ थे। बेशक, कुछ संदर्भों में द्रौपदी को अर्जुन से सबसे ज्यादा प्रेम करते हुए दिखाया जाता है, शुरूआत में, लेकिन अन्त समय में उन्होंने भी स्वीकार किया था कि हर औरत का जीवनसाथी भीम जैसा ही होना चाहिए।
और भीम जैसा कल ही क्यों? आज भी हर व्यक्ति को स्त्री के लिए, प्रेम के लिए और अन्याय के विरुद्ध भीम ही होना चाहिए।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.