Delhi riots 2020 बनाम shaheen baag

जबकि इसके ठीक उलट जैसा कि नाम से ही लग रहा है कि -नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के नाम पर मुस्लिम समुदाय द्वारा एक तरफ दंगे फसाद किये जा रहे थे और दूसरी तरफ शाहीन बाग़ और इन जैसे चौराहों को नफरत और द्वेष ,भ्रम और झूठ , फैलाने के लिए तकरीरें देने का अड्डा बना दिया गया था |
असल में पोस्ट की शुरुआत में जो प्रश्न पूछा गया था उसका सन्दर्भ ये है कि , एक प्रकाशन समूह ब्लूम्सबरी इंडिया ने ,”Delhi riots 2020″ नाम की पुस्तक के प्रकाशन का जिम्मा लिया था और इसके आभासी विमोचन की घोषणा भी समाचार माध्यमों में आ गई थी | किन्तु जैसे ही इस किताब के प्रकाशन की खबर आई वैसे ही सारे वामपंथी ,लिब्रान्डु ,बुद्दिजीवी बौखला कर किताब ,लेखक और प्रकाशक पर अपनी कुंठा का विष वमन करने लगे |
ये प्रकरण अभी हाल ही में हुए एक प्रकरण जिसमें ,पशुओं को क्रूरता से बचाने के लिए काम करने वाला एक तथाकथित स्वयं सेवी संगठन ,ने पहले बकरे को न काटने की अपील वाले पोस्टरों को ऐसे ही विरोध और उससे डर जाने के कारण उतार दिया था | मगर फिर कुछ दिनों बाद ही अनावश्यक रूप से गाय ,मांस ,चमड़े को रक्षाबंधन से जोड़ कर अपनी खूब किरकिरी कराई थी |
यही हाल अब इस प्रकाशन समूह का होने वाला है | आज पाठकों तक किसी भी सच को पहुंचाने दिखाने के लिए अब किसी प्रकाशक का मोहताज रहा जा सकता है ये एक बचकानी सोच है | और इससे भी अधिक निन्दनीय और बचकानी बात है ये कि सच का साथ जानबूझ कर या शायद डर से छोड़ कर , जिस तरफ को ये प्रकाशन समूह अग्रसर है देर सवेर ये खुद उसके लिए ही आत्मघाती साबित होगा |
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Delhi Roots-2020