जावेद साहब को गुस्सा आया। गुस्सा आना भी चाहिए । नारी का किसी भी प्रकार अपमान हो तो गुस्सा आना चाहिए। जिसने भी वेबसाइट खोल कर नारी की नीलामी की हो उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए। मैं तो मानता हूं कि उन्हें चौराहे पर संगसार करके दोज़ख में भेजा जाना चाहिए। नारी के खिलाफ थोड़ी बेअदबी भी ना काबिले बर्दाश्त है।
मगर जावेद साहब उर्दू में एक लफ्ज है माल ए गनीमत , इस पर कभी गुस्सा क्यों नहीं आया?
आप उर्दू के कदरदान हैं। हर एक लफ्ज़ के मायने खूब समझते हैं।
जनाब, मैंने पढ़ा था कि एक बार आप पेरिस गये थे किसी फिल्मी प्रोग्राम में तो वहां का फेमस ब्रोथेल घूमने गए थे । और मजे की बात आपके साथ हर पराए दर्द में आह भरने वाली शबाना आजमी भी घूमने गई थी। ब्रॉथेल समझते हैं ना आप , जी इसे संस्कृत में वेश्यालय और उर्दू में रंडी खाना कहते हैं। जनाब , आप अपने शरीके हयात के साथ वहां औरतों की कौन सी ताजपोशी देखने गए थे। मुझे पता नहीं चलता है कि रंडी खाने में रहने वाली खवातीनों के किस हुकूक के लिए आपकी बेगम शबाना जी वहां गई थीं।
पर क्या आपको उस वक्त गुस्सा आया?
रंडी खाने में कौन सा फेमिनिज्म परवान चढ़ता है?
खैर दिल आपका दिमाग आपका गुस्सा आपका।
सिर्फ तीन बार अपनी शरीके हयात को तलाक कह कर और चंद सिक्के खनका कर अपनी जिंदगी से बेदखल करने की मुकद्दस कोशिश पर तो आपको गुस्सा नहीं आया।
जब इस पर गुस्सा नहीं आया तो हलाला पर क्या आएगा?
खैर आपकी मर्जी।
इस बुल्ली बाइ और सुल्ली बाइ पर आपका गुस्सा जरूर वाजिब है।
एक संगठन है बोको हराम और आईसिस जिसने ना मालूम कितने खबातीनों को बंधक बनाया और उनका जिस्मानी तौर पर शोषण किया और कर रहे हैं।
पर उन पर गुस्सा क्यों आएगा क्योंकि वो तो निजाम ए मुस्तफा कायम कर रहे हैं।
शायद आपको याद हो कि पिछले साल पाकिस्तान का एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें एक सिख की बेटियों की जबरन शादी करवाई जा रही थी (मुझे यकीन है कि आपको पता होगा , किससे शादी करवाई जा रही थी और वह भी बिल्कुल शरीयत के हवाले से ) वह बाप रो रहा था, मिन्नतें कर रहा था पर इस वीडियो को देखकर भी आपको गुस्सा नहीं आया होगा, मुझे यकीन है!

आपके सिलेक्टिव गुस्से का तो वो आलम है कि एक शेर अर्ज कर दूँ …
सौ गमों को निचोड़ने के बाद,
हम पिए तो शराब बनती है।

बाकी का गम तो दूध भात है।
आपकी ही बिरादरी की हैं मास्टर-जी सरोज खान , उन्होंने कुबूल किया था कि कास्टिंग काउच तो सबका होता है खासकर हीरोइनों का परंतु वह तो खवातीनों की ताजपोशी है उस पर गुस्सा क्यों आएगा आपको?
चीन में उइगर मुसलमानों की मां-बहन एक हो रही है, पर आपको गुस्सा नहीं आ रहा।

पर इस पर शिकायत क्या करना, वर्णांधता किसी को सिर्फ हरा रंग दिखाती है तो किसी को सिर्फ भगवा।
एक असिन विराथु को दुनियादारी का थोड़ा ज्ञान आ गया तो सारे रोहिंग्या उसी हिंदुस्तान के बॉर्डर पर धरना दिए बैठे हैं जहां बकौल आप की इंडस्ट्री के एक सुपर स्टार की उस बीवी को भी रहने में डर लगता है जिसे उस स्टार ने तलाक दे दिया है।
परंतु मेरा मानना है कि वेबसाइट खोल कर किसी भी स्त्री का अपमान करना अमानवीय कृत्य है और इसके लिए दंड मिलना ही चाहिए।
खबर आई है कि श्वेता सिंह और विकास और विकास झा नाम के शख्स के साथ एक नेपाली नागरिक की भी संलिप्तता पाई गई है इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और होगी भी। मगर जावेद साहब, आपका गुस्सा भी सिलेक्टिव नहीं ग्लोबल होना चाहिए।
यकीन मानिए कि जब भारत में हिंदू की बहुतायत है तभी इस मुल्क में इस्लाम है ,ईसाइयत है यहूदी है, पारसी है और साम्यवाद है ,बोलने की आजादी है वरना जहां सिर्फ इस्लाम है वहां न हिंदू है , न ईसाइयत है ,ना यहूदी है, न पारसी है और न हीं वामपंथ है।
फैज की ग़ज़ल भी नहीं पढ़ सकते हैं
बोल कि लब आजाद हैं तेरे।

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