भारत जोड़ो यात्रा के बाद से राहुल गांधी उत्साह से जहां लबरेज नजर आ रहे थे वही पूरी दमखम के साथ विपक्ष के नेता के तौर पर उभरने की कोशिश कर रहे थे पर ऐसे समय में गुजरात कोर्ट के द्वारा उनके ऊपर दिया गया प्रहार उनके लिए ही नहीं अपितु पूरी कांग्रेस पार्टी के लिए अत्यंत निराशाजनक एवं पीड़ादायक होगा। जब से राहुल गांधी ने अपने टीशर्ट को आगे बढ़ाते हुए राजनीति में अपने को पूर्ण परिपक्व दिखाने की कोशिश की थी ,उसके बाद से कोर्ट द्वारा दिए गए 2 साल के सजा ने उनके सारे किए कराए पर पानी फेर दिया।
कोर्ट के द्वारा 2 साल की सजा दिए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय के द्वारा उनकी वायनाड से संसद सदस्यता भी खत्म कर दी गई। ऐसे समय में अब ना तो वो सांसद है नाही कांग्रेस पार्टी में कोई पद संभाल रहे हैं। अब वह सिर्फ कांग्रेस के पोस्टर बॉय बन के रह गए हैं। भारत छोड़ो यात्रा के बाद जहां कांग्रेस खुद को मजबूत कर रहे थे वही कॉन्ग्रेस पार्टी ने भी निर्वाचन प्रणाली अपना करके अपना नया अध्यक्ष बना करके लोगों में विश्वास जमाने की कोशिश की परंतु मल्लिकार्जुन खरगे भी इस पर खरे उतरें और ना ही राहुल गांधी अपनी ,पार्टी और गांधी परिवार की विरासत को संभाल पाए।
राहुल गांधी की सांसद सदस्यता जाने के बाद देश में तीन चार बातें हैं जो बहुत मायने रखती है, पहला कि अब तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर के फिर से चर्चाएं तेज हो जायेगी, जहां तीसरा मोर्चा के नेतृत्व के लिए ममता बनर्जी बंगाल से, तेलंगाना से केसीआर और अखिलेश यादव यूपी से उभर के आना चाहते। जिन्होंने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी से दूरी बनाए रखी है परंतु अपने अपने क्षेत्रों में अपनी मजबूत पकड़ भी रखती हैं। साथ ही साथ क्षेत्रीय दल होने के कारण अपने-अपने राज्यों की विधानसभाओं में मजबूत पकड़ है जहां ममता बनर्जी बंगाल में मुख्यमंत्री है वही केसीआर भी तेलांगना के मुख्यमंत्री एवं पूरी तरह हावी है भले ही अखिलेश यादव यूपी में विपक्ष में हो परंतु उनका भी का कद कम नही है।
इधर बिहार में नीतीश कुमार जी की लगता है अब राज्य की राजनीति छोड़कर राष्ट्रीय पटल पर आने की तैयारी में है। वह भी चाहते हैं कि उनके नेतृत्व में मोर्चा बने जो आने वाले चुनाव में उन्हें मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में खड़ा करे और देश भर में उन्हें मोदी के समकश माना जाए परंतु राजद पार्टी के गठबंधन होने के बाद से उनकी स्थिति काफी नाजुक हो गई ,जहां जदयू में भी उनको लेकर कि एकरूपता दिखाई नहीं देती, वहां शायद बिहार में ऐसा हो कि वहां की 40 की 40 सीटें जीत पाए और खुद को विपक्ष के नेता के रूप में स्थापित कर पाए।
राहुल गांधी के सिर्फ सांसद सदस्यता नहीं गई है बल्कि 3 साल के लिए चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध भी लग सकता है ,ऐसे में यह संभव है कि अगला लोकसभा चुनाव भी हो ना लड़ पाए ।राहुल गांधी लोकसभा जा नहीं सकता है, ऐसे समय में विपक्ष के लिए यह एक बड़ा मुद्दा हो सकता है कि राहुल गांधी के बाद अब उनका नेता कौन हो क्योंकि मोदी जी का जितना बड़ा कद है और जिस प्रकार वह जन जन के नेता हैं ,देश भर में मोदी मोदी के नारे लगाए जाते हैं, ऐसे में जब तक विपक्ष के पास कोई उम्मीदवार जिसका कद अपनी पार्टी से बड़ा ना हो, ना हो तो मोदी को खुली चुनौती नहीं दे सकता लोकसभा चुनाव 2024 में।
ऐसे समय में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी उनके पास कौन ऐसा देश भर में बड़ा नेता है जो कांग्रेस का विपक्ष का नेता बन सके और मोदी को खुली चुनौती दे सके और जिसके कारण पूरे देश भर में कांग्रेस पार्टी का कम से कम वोट प्रतिशत तो बढ़े।

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