ये आंदोलन के नाम पर उपद्रव , हंगामा , हुउल्लड़बाजी , ट्रेंड और टैग , तख्तियां बैनर वालों का सच जैसे ही दुनिया के सामने आता है और फिर इनके किए का परिणाम इन्हें अपने सामने जेल की कोठरी के रूप में दिखने लगता है बस तभी हवा हो जाती है सारी हेकड़ी . सारे किट से लेकर चिट तक , जिन पर ये लोग कभी भारत तेरे टुकड़े होंगे , तो कभी ले के रहेंगे आजादी जैसे नारे चस्पाए घूमते हैं वो सब एक ही झटके में फना हो जाता है .
जैसी की उम्मीद थी एक एक करके सारे सिद्धूओं को पकड़ कर पुलिस दीप जला जला कर सारा सच बाहर ले कर आ गई है और इस सारे षड्यंत्र की दिशा दशा पता लगते ही वही स्यापा , वही राग फिर से अलापा जाना अपेक्षित है . खैर ये तो जब होगा तब होगा .
फिलहाल के हाल तो ये हैं की मैडम जी टूलकिट वाली को अदालत में जैसे ही अंदाज़ा हुआ कि अब अगले कुछ समय तक अपने अपराधों के लिए , देश को तोड़ने की योजना बनाने जैसे घृणित षड्यंत्र के लिए अब टूल किट की जगह जेल किट (हर कैदी को जेल मैन्युअल के अनुसार उपलब्ध कराया जाने वाला सामान ) से ही काम चलाना होगा , ग्रेटा और रेहाना की दोस्तनी जी , दिशा रवि तो अदालत में ही फूट फूट कर रोने लगी . ल्यो रे बहादुर ! बस इतना ही .
दिल्ली पुलिस देश की सबसे तेज़ और तर्रार पुलिस में से एक है , आप यूँ बिना वजह , एक ढके छुपे षड्यंत्र के तहत , राजधानी में , लालिकला , तिरंगा , देश , फौज सबका अपमान करेंगे ,पुलिस फौज की छाती पर ट्रैक्टर चढ़ा कर स्टंट करेंगे और पुलिस चुपचाप बैठे , कितनी कमाल की मक्कारी है न .
अरे भई , जब करते हो ,कहते हो , ट्विटर , फेसबुक , लाइव , सोशल मीडिया में सिर्फ अटेंशन पाने के लिए , देश तक के विरुद्ध न सिर्फ जहरीली सोच रखते हो बल्कि उस जहर को बारूद बना कर समाज में अशांति और हिंसा फैलाने के उगलते भी रहते हो तो फिर थोड़ी और हिम्मत दिखाओ न .
खैर अभी तो , पुरस्कार वापसी गैंग , अभिव्यक्ति की आजादी गैंग सब एक एक करके मैदान में उतरने वाले हैं
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