भारत माँ का प्रश्न
भारत को इण्डिया कहना बन्द करें | शासन से पहले स्वयं प्रयास करें
भारत को इण्डिया कहना बन्द करें | शासन से पहले स्वयं प्रयास करें
कहते हो मुझको माता, तो पूछूँ एक सवाल।
मैं भारत हूँ भारत बोलोगे, बोलो ना लाल! (मु)
कैसे अंगीकार करूँ मैं, नाम गुलामी वाला!
पूछे मेरा पुत्र भरत तो, मुँह को लगता ताला॥
क्या ‘इण्डिया’ कहने पर होता, उन्नत देश का भाल?
मैं भारत हूँ भारत बोलोगे, बोलो ना लाल! (१)
संस्कार मेरे जन-जन में, इसी नाम से आते।
भारत की जयकार करो तो, गौरव-पौरूष पाते॥
‘इण्डिया’ में इतिहास की काली, परछाई विकराल।
मैं भारत हूँ भारत बोलोगे, बोलो ना लाल! (२)
गीता में अर्जुन को पुकारे, इसी नाम से केशव।
जगद्गुरू भारत कहलाता, भारतीय का वैभव॥
पहचानो ‘इण्डिया’ में छुपी है, जो पश्चिम की चाल।
मैं भारत हूँ भारत बोलोगे, बोलो ना लाल! (३)
पावन और मंगल मेरा हर, प्रान्त और भूभाग।
ममतामय मेरा हर जन पर, दिव्य अमर अनुराग॥
ना संस्कृतमय है ‘इण्डिया’, ना संस्कृति की ढाल।
मैं भारत हूँ भारत बोलोगे, बोलो ना लाल! (४)
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