हरिशंकर परसाई जी प्रेमचंद के जूते को देखकर रो पड़े थे , मन में व्यग्रता और वेदना को दबा ना सके तो “जूते” के माध्यम से उस समाज को जूता मारा – जिस समाज ने अनमोल साहित्यकार को सिर्फ राजनीति के लिए फटे जूतों में मरने को छोड़ दिया ! आज प्रेमचंद जी का पुण्यतिथि है ! उस महान समाज सुधारक का जिन्होंने लगभग सभी अपने कृत में एक दबे – कुचले समुदाय को नायक बनाकर समाज में फैली कुरीतियों पर प्रहार किया ! “रंगभूमि” का सूरदास , “गोदान” का होरी,...