ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त कमीशन के सामने पेश होते समय सर सैय्यद अहमद खान ने अपनी बात रखते समय टिपणी करी थी कि "उर्दू सभ्य, शिष्ट और कुलीन लोगों कि भाषा है जबकि हिंदी अशिष्टों की !”
स्वतंत्रता के पश्चात् हिंदी बनाम उर्दू का विवाद फिर से एक राजनीतिक हथियार बन गया !