बिना श्रेणी मैरिटल रेप या पहचान संकट से जूझता न्यायालय। भारत में बड़बोलों का प्रजातंत्र है जो जितना गाल बजाए उसकी उतनी पहचान बनती है। आजादी के बाद जहां हिंदुत्व वादियों ने जमीनी काम...
तकनीकी रोमांच की तलाश में पूर्ण शिक्षित राज्य। अभी हाल ही में वाइफ स्वैपिंग की एक घटना का जिक्र केरल के कोट्टायम जिले में हुआ है। एक गरीब और अशिक्षित इंसान...
बिना श्रेणी जावेद साहब का बुल्ली बाइ पर गुस्सा और सुल्ली बाइ पर …। जावेद साहब को गुस्सा आया। गुस्सा आना भी चाहिए । नारी का किसी भी प्रकार अपमान हो तो गुस्सा आना चाहिए। जिसने भी...
राजनीति राजनीति राजनीति हाथरस से अलवर तक बदलती टैग लाइन। वर्तमान समय में लगता है कि अवसरवादिता और दोगलापन राजनीति का पर्याय हो गया है। काल , स्थान और आवश्यकता के अनुरूप अपना बयान...
आज का मुद्दा ५६ इंच का सीना और ५५ कैमरे रवीश कुमार एक वेल ट्रेंड पत्रकार हैं और आने वाले पत्रकारों के लिए एक स्टैंडर्ड मेजरिंग स्टिक। परंतु वामपंथ के प्रति उनका झुकाव उन...
राय दैत्य दत्त सनातन की सरलता वास्तव में काइयाँ लोगों के लिए क्रीड़ा भूमि बन जाती है। इसकी सरलता का प्रकाश दुनिया भर में पहुंचाने के लिए...
बिना श्रेणी मोदी, बस और कुछ नहीं। किसान आंदोलन, महंगाई और कोरोनावायरस जैसे सुर्खियाँ बटोरती खबरों के बीच एक अजीब सी कौंध दिखाई दे रही है और वह है विश्व के...
अनुसंधान अनुसंधान अनुसंधान अनुसंधान कृषि कानून के निरस्त होने के बाद देश के द्वारा उठाने योग्य सार्थक कदम। यह पोस्ट में किसी राजनीतिक पार्टी विचारधारा या व्यक्ति विशेष की तुष्टीकरण आदि के लिए नहीं कर रहा हूं।इस कानून के बनने और निरस्त...
बिना श्रेणी तीन कृषि कानूनों के वापस लेने के साइड इफेक्ट्स। कुछ दिन पहले संसद के दोनों पटल पर सोच विचार कर बनाए गए कृषि कानूनों की बलि दे दी गई। मजे की बात यह...
बिना श्रेणी अन्तर्जातीय विवाह : भारतीय सामाजिक ढाँचे का क्षय रोग यह शीर्षक बुद्धिजीवियों, प्रगतिशीलों और साम्यवादियों को दकियानूसी अधिनायकवादी, मनुवादी और पाषाणकालीन लग सकता है पर ये कथ्य अनुभूत साक्ष्यों और आँखों देखी घटनाओं...