Kejriwal model exposed. 824 out of 1,027 schools in Delhi do not have a headmaster.

Arvind Kejriwal has never stayed behind in praising his Aam Aadmi Party Government for improving the education system of Delhi. Every where he speaks, he points out at the improvised condition of government schools in Aam Aadmi party’s government in Delhi. But his Education model for Delhi got exposed after it came in the public domain that 824 out of 1,027 schools in Delhi do not have a headmaster. On 12th of April,the National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR) under the guidance of Priyank Kanoongo asked the Delhi Government of Kejriwal for an explanation over 824 vacant posts of principals in Delhi government schools. In a letter to Delhi Chief Secretary Vijay Dev, the apex child rights body said a team led by chairperson Priyank Kanoongo visited several schools in the national capital and found discrepancies with regard to the infrastructure and other aspects. It further added that most of the schools visited by the teams did not have a Head of School (HoS), and the post was vacant.

The NCPCR said its team led by its chairperson visited a number of schools in Delhi and found discrepancies with respect to infrastructure and other aspects and found that most of the schools don’t have a headmaster appointed. The Letter said “It also came to the commission’s notice that in most of the schools visited by the team, the post of head of school (HoS) was found to be vacant”.Chairperson of NCPCR Priyank Kanoongo stated that the head of the school’s role is vital to ensure that the school has a positive learning environment plus a caring and inclusive atmosphere. Their absence could also lead to safety and security issues for children, she said.

“Further, as per the Schedule given in RTE Act, 2009 outlining the norms and standards for schools, for classes 6 to 8, where admission of children is above one hundred, there shall be a full-time head-teacher in the school,” the NCPCR, which is the monitoring authority of the Right To Education (RTE) Act, said.

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.

केजरीवाल बने “प्रचारवाल”

अरविंद केजरीवाल बने “अरविंद प्रचारवाल”

देश की राजधानी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल वह मुख्यमंत्री हैं जो काम से ज्यादा अपना थोबड़ा दिखाने के लिए जाने जाते हैं । दिल्ली वासियों को झूठे सपने दिखा कर केजरीवाल से “प्रचारवाल” बने अरविंद दिल्ली के मुख्यमंत्री तो बन गए मगर दिल्ली वालों को स्वर्ग का सपना दिखाकर नर्क में ले गए,चाहे स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर मोहल्ला क्लीनिक हो या फिर प्रदूषण को कम करने को लेकर odd-even यह सभी कार्य ग्राउंड स्तर पर फिसड्डी साबित हुई है । जिस मोहल्ला क्लीनिक का नाम लेकर “प्रचारवाल” बोटबैंक की होर लगाए थे आज जब कोरोना की विकट परिस्थिति आई है तो वह मोहल्ला क्लीनिक का कहीं कोई नामोनिशान तक नहीं है ।

जिस दिल्ली वाले को केजरीवाल चुनाव के समय बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधा को दुरुस्त करने का वादा कर रहे थे आज उसी दिल्ली की मासूम जनता दिल्ली में मौत का तांडव और प्रदेश की निकम्मी सरकार का हाल देख कर यह कहने को मजबूर हो गई है कि दिल्ली कि अरविंद सरकार में लोगों का बिजली हाफ, पानी माफ,और जिंदगी साफ हो रहा है ।

2020 में जब करोना देश और दुनिया भर में तांडव मचा रहा था उस वक्त दिल्ली के सीएम स्वास्थ्य सुविधा को चमकाने के बदले प्रचार पर करोड़ों रुपए खर्च कर अपना चेहरा चमकाने का काम कर रहे थे, आज जब दिल्ली में ऑक्सीजन को लेकर तांडव मची हुई है तब भी केजरीवाल स्वास्थ्य सुविधा को नजरअंदाज कर अपने चेहरे को दिखाने में जनता के टैक्स के करोड़ो रूपये बर्बाद कर रहे हैं ।

ट्वीटर पर जनता की केजरी सरकार से सवाल :-

दिलचस्प बात यह है कि जो केजरीवाल बीते साल यह ऐलान किया था कि जिन-जिन अस्पतालों में कोविड मरीजो का इलाज चल रहा है उसके हर बेड पर ऑक्सीजन का इंतजाम दिल्ली सरकार करेगी और दिल्ली सरकार का यह ऐलान उस वक्त मीडिया के सुर्खियों में था तथा अखबार में बड़े-बड़े आर्टिकल भी छपे थे और बजाबते 12 जून 2020 को केजरीवाल की पार्टी “AAP” के आधिकारिक टि्वटर हैंडल से इस खबर को शेयर भी किया गया था ।

दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर मचे हाहाकार के बीच जनता दिल्ली सरकार को उसके उस वायदे की याद दिला रही है जो कि अगस्त 2020 में केजरी सरकार ने दिल्ली की जनता से की थी जिसमें केजरीवाल ने कहा था कि “दिल्ली में 1 हफ्ते में टेस्ट दोगुने, घर पर भी मिलेगी ऑक्सीजन” और उस वक्त यह खबर भी मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरी थी और “AAP” आधिकारिक ट्विटर हैंडल से 27 अगस्त 2020 को इस खबर को साझा भी किया गया था,अब फिर से यह दोनों ट्वीट ट्विटर यूजर के द्वारा शेयर कर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा जा रहा है मगर बेशर्मी की हद पार कर चुकी दिल्ली सरकार को अब जवाब देते नहीं बन रहा ।

ऑक्सीजन पर “केजरी रोना” :-

दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी को लेकर और मौतों के तांडव को देखकर जब कुछ अस्पतालों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया तब केजरीवाल ने अपनी नाकामी का ठीकरा 2020 की तरह एक बार पुनः 2021 में भी केंद्र की मोदी सरकार पर फोड़ा मगर केंद्र सरकार ने भी इस बार दिल्ली सरकार को अदालत में उसकी नाकामी का जवाब दिया,जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरी सरकार को जमकर फटकार लगाई मगर बेशर्मी की हद पार कर चुकी दिल्ली सरकारी यहीं नहीं रुकी और उसने केंद्र पर ऑक्सीजन की खेप न देने का आरोप लगाया मगर केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया की केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को ऑक्सीजन की खेप मुहैया कराई है मगर दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन को मंगाने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तथा ऑक्सीजन को लाने को टैंकर तक नहीं भेजी इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरी सरकार को दिल्ली में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर एक बार फिर लताड़ा, इसके बाद “प्रचारवाल” ने पुनः कई राज्यों में ऑक्सीजन टैंकर को लेकर विज्ञापन दे डालें जिसमें करोड़ों रुपए बर्बाद हुए, इस रुपए से अगर चाहती तो दिल्ली की निकम्मी केजरीवाल सरकार खुद का ऑक्सीजन प्लांट लगा सकती थी मगर केजरीवाल को जनता का जान से प्यारा अपना थोबड़ा दिखाना है ।

दिल्ली सरकार के द्वारा केंद्र सरकार से 480 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की गई थी जिसे केंद्र ने बिना देरी किए पूरा भी किया मगर अब दिल्ली सरकार की मांग 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन तक पहुंच चुकी है, हालांकि केंद्र पूरे देश में ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर अपनी पूरी जी जान लगा दी है जिससे कि लोगो के जान को बचाया जा सके । न्यूज़ एजेंसी रिपब्लिक भारत की खबर के मुताबिक दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल के एमडी बलूजा के हवाले से कहा गया है कि इनके हॉस्पिटल में जब लोग जिंदगी की जंग हार रहे थे तब दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई में उनका साथ नहीं दिया, उनके मुताबिक गोल्डन हॉस्पिटल को 3600 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है मगर दिल्ली सरकार महज 1400 लिटर ऑक्सीजन ही मुहैया कराती है मतलब 60% ऑक्सीजन की सप्लाई दिल्ली सरकार नहीं करती है जिससे कि दिल्ली में लोगों को कोरोना रूपी काल अपने गाल में समा रही है । उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऑक्सीजन की सप्लाई में 12 घंटे तक की देरी करती है दिल्ली सरकार जिससे कि लोगों के जान पर खतरा बन जाती है ।

दिल्ली में लोगों की परेशानी को देखते हुए तथा उनकी जिंदगी को बचाने को लेकर मोदी सरकार ने दिल्ली को ऑक्सीजन की खेप मुहैया कराई, मगर दिल्ली की निकम्मी केजरी सरकार उसको लाने के बजाय टैंकर के नाम पर अपना “थोबड़ा” दिखाने में लगी रही, ऐसे मुख्यमंत्री का होना ना होना इस विकट परिस्थिति में एक ही है । दिल्ली की निकम्मी सरकार जनता के लिए मर चुकी है बेहतर होगा कि दिल्लीवालों आप लोग खुद अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें क्योंकि केजरीवाल अपना हाथ खड़ा कर चुका है ।

StayHomeStaySafe

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.

अरविंद केजरीवाल का हाथ, चीन के साथ।

यह एक बहुत ही गंभीर मामला है
अकेले दिल्ली में 2 लाख से अधिक सीसीटीवी कैमरे हैक किए गए हैं,
ये वही कैमरे हैं जो दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा चीन से खरीदे गए थे और विरोध के बावजूद भी इसे स्थापित किया गया था।

यह कैमरे चीन से उस समय खरीदे गए थे जब “गैलवान वैली” में हिंसक झड़प हुई थी तथा उसके बाद देश भर में चीनी विरोधी भावना उत्पन्न हुईं थी ।

तभी केंद्र ने चीनी परियोजनाओं को भारतीय परियोजनाओं से दूर रखने के लिए कई उपाय किए थे। तथा भारत ने 59 चीनी मोबाइल एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसमें बायेडेंस के टिकटॉक और टेंशंट के साथ वी चेट शामिल हैं ।

इन कैमरों का निर्माण चीन के डायहुआ और हिकविजन द्वारा किया गया था।

जैसा कि अब यह कैमरे हैक हो चुकें हैं।

तो इनका उपयोग स्नूपिंग टूल के रूप में किया जा सकता है।
इनका “अनधिकृत लिस्टिंग” उपकरणों के रूप में उपयोग किया जाता है।
यह आँखें और कान के रूप में स्थानीयकृत अशांति को भड़काने के लिए उपयोग हो सकते हैं ।
इनका 26/11 जैसे ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
इनका उपयोग अपराध उपकरण असामाजिक तत्व के रूप में हो सकता है।
इससे उच्च मूल्य व्यापार रहस्य की चोरी हो सकती है।
इससे एटीएम आदि में पासवर्ड को कैप्चर किया जा सकता है।
यह एंटी इंडिया फोर्सेज द्वारा एक सर्विलांस है।
यह आतंकी गतिविधियों के लिए आदर्श साबित हो सकता है।
यह हैकिंग घुसपैठ डिवाइस और एंटी इंडिया एजेंसियों के लिए आंखें और कान बन सकते हैं।

यह हमारे भारत देश तथा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ अरविंद केजरीवाल तथा उनकी दिल्ली सरकार है।

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.

Leave a comment