हिन्दू धर्म व् मनुष्य की मानसिकता

हिन्दू अपने धर्म पर अडिग नहीं है अपने स्वार्थ के लिए अपने देवी देवता बदल देते हैं हिन्दू शास्त्र सबसे प्राचीन हैं लेकिन केवल अल्प हिन्दू ही उनके अनुसार पालन करते हैं शास्त्रों में लिखा है मनसा वाचा कर्मणा कि जैसा आत्मा में,मन में, वचन में वैसा ही कर्म में होना चाहिए लेकिन कोई भी पालन नही करता गीता केवल उदाहरण के लिए ही हैं उसका पालन करने के लिए नहीं

*** डॉ पांचाल

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.