कहते  हैं संगत का असर , अच्छे अच्छों को बिगाड़ देता और बुरे से बुरे को सही रास्ते पर ला देता है | फिर साथ जब नलके की टोंटी तक उखाड़ कर समाज में सच्चा समाजवाद स्थापित कर चुकी पार्टी का मिल जाए तो फिर यही होता है जो आज हुआ | 

पिछले दिनों सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमय मौत , और उसके कारण के रूप में हिंदी सिनेमा में ड्रग्स के फलते फूलते धंधे पर सवाल उठाते हुए , अमिताभ बच्चन सहित तमाम बड़े अभिनेता अभिनेत्रियों की चुप्पी को देख कर आम लोग ,जो इन सिनेमाई कलाकारों को दीवानों की तरह चाहते थे , अपना आदर्श माना करते थे उनका गुस्सा फूट पड़ा  | उन्होंने सोशल मीडिया ,समाचार चैनलों पर लगातार इन सबको आड़े हाथों लिया | 

इस बीच जहां बेबाक और निडर अभिनेत्री कंगना राणावत ने बॉलीवुड में ड्रग्स के बेतहाशा सेवन और इससे जुड़ी तमाम बुराइयों के लिए सीधे सीधे हिंदी सिनेमा और महाराष्ट्र सरकार को चुनौती दी तो वहीँ सुशांत राजपूत की मौत पर चुप्पी साधने के लिए , अभिनेता शेखर सुमन ने सीधे सीधे अमिताभ बच्चन जैसे बड़े अभिनेता को घेरा | मगर सभी मौकापरस्ती और स्वार्थ में या तो बिलकुल चुप्पी साध ली या फिर महाराष्ट्र सरकार और वहां सत्तासीन दल शिवसेना की तरह बदला लेने पर उतर आए | 

आत्महत्या ,हत्या , ड्रग्स जैसे बेहद गंभीर अपराधों की जाँच वो भी तीन चार बड़ी जाँच एजेंसियों द्वारा किये जाने से एक सच जो सीधा सीधा निकल कर सबके सामने आया वो ये कि -हिंदी सिनेमा में व्याप्त और लगातार किये जा रहे अपराधों के साथ ही -चरस ,अफीम ,कोकीन आदि तमाम नशीले ड्र्ग्स के सेवन करने करवाने का गंभीर अपराध भी बदस्तूर चल रहा है | 

कल से शुरू हुए मानसून सत्र में , लोकप्रिय अभिनेता और सांसद रवि किशन जी ने हिंदी सिनेमा में ड्रग्स , महिलाओं के यौन शोषण , माफिया से सांठ गाँठ , ब्लैक मनी को व्हाइट मनी में बदले जाने के धंधों के मद्देनज़र हिंदी सिनेमा को बॉलीवुड माफिया बनता देख , पडोसी शत्रु देशों द्वारा साजिशन , इन मादक पदार्थों की तस्करी और बढ़ते चलन से बचाने के लिए संसद में सबका ध्यान आकर्षित किया | 

अपने समय की विख्यात अभिनेत्री और अब समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन आज उस चिंता पर , इन प्रवृत्तियों और इनके परिणाम स्वरूप हिंदी सिनेमा पर छाए खतरे से निपटने की बजाय , बेहद आक्रोशित स्वर और आपत्तिजनक लहज़े में , बिना रवि किशन का नाम लिए उन पर निजी हमला करते हुए उन्हें “जिस थाली में खाया उसी में छेद किया ” “हिंदी सिनेमा को गटर कहा ” “हिंदी सिनेमा को बदनाम करने की कोशिश की ” जैसे आरोप लगाते हुए उलटा सरकार से ही हिंदी सिनेमा की सुरक्षा करने जैसे अप्रत्याशित प्रतिक्रिया दे डाली | जिसका बड़ी ही शालीनता से रवि किशन ने खंडन किया | 

हिंदी सिनेमा जगत का अपमान , उसे बदनाम करने की साजिश – सच में क्या ? 


अभी कुछ दिनों पूर्व मीटू प्रकरण , जिसमें सिनेमा जगत से जुडी तमाम महिला कलाकारों/ कर्मियों ने सार्वजनिक रूप से बताया कि कैसे खुल्लम खुल्ला यहां उनका मानसिक शारीरिक सामाजिक शोषण किया जाता रहा है | इससे पहले कास्टिंग काउच के एक बड़े रहस्योद्घाटन में भी ये बात बहुत मुखर होकर सामने आई थी | — तब हिंदी सिनेमा ज़रा भी बदनाम नहीं हुआ था  | 

उससे भी थोड़ा पहले , बॉलीवुड में माफिया और अंडरवर्ल्ड की साँठ गाँठ से फिरौती ,अपहरण , ह्त्या ,बलात्कार जैसे अपराधों को अंजाम दिए जाने की खबरों और उनके सच से भी -हिंदी सिनेमा ज़रा भी बदनाम नहीं हुआ था |


परवीन बॉबी , दिव्या भारती , दिशा सालियान , सुशांत सिंह राजपूत जैसे कलाकारों की रहस्मय मौत (हत्या/आत्महत्या ) जैसे अपराधों से भी -हिंदी सिनेमा ज़रा भी बदनाम नहीं हुआ था | 

बॉलीवुड में गुटबाजी और गैंग बाजी से बाहरी कलाकारों के साथ जान बूझ कर किया जाने वाला दोयम दर्ज़े का व्यवहार और उनके शोषण के सच के बाहर आने से भी -हिंदी सिनेमा ज़रा भी बदनाम नहीं हुआ था | 

एक तय अजेंडे के तहत , हिन्दुस्तान में ही , हिन्दुओं की आस्थाओं ,मानयताओं , इष्टों के अपमान और उपहास उड़ने वाली फिल्मों/वेब सीरीज़ से भी -हिंदी सिनेमा ज़रा भी बदनाम नहीं हुआ था | 

संजय दत्त ,सलमान ,शाहरुख, राहुल भट्ट ,रिया चक्रवर्ती जैसे अभिनेताओं पर गंभीर आपराधिक मुकदमों और उनमें कानूनी रूप से मिली सज़ा के बावजूद भी -हिंदी सिनेमा ज़रा भी बदनाम नहीं हुआ था | 

अक्सर कहा जाता है की “सिनेमा समाज का आईना होता है ” मगर आज जब सिनेमा जगत को लोगों ने आईना दिखा कर उसका खुद का घिनौना चेहरा दिखा दिया तो , आसमान फट पड़ा , क़यामत आ गई | या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि लोगों द्वारा इन्हें सिर पर बैठा लेने और महानायक , किंग ,बादशाह कहने पुकारने से इन्हें सच में ही ये लगने लगा ये हाड़ मांस के इंसान से अधिक खुदा ईश्वर सरीखे हो गए हैं |

कहते हैं कि जब कहने को कुछ नहीं हो तो चुप रहना बेहतर होता है और सिर्फ विरोध करने के लिए ही विरोध नहीं किया जाना चाहिए | और जया के “बचाओ बचाओ ,चरसी बॉलीवुड को बचाओ” की दारुण पुकार सुन कर यदि NCB सच में ही बॉलीवुड को बचाने आ गई तो फिर तो इनका पूरा वजूद ही खतरे में आ जाएगा |

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