यायावर मन

जीवन कितना क्षणभंगुर है नश्वर है क्षणिक है, सब जानते हुए भी, मानव मन एक यायावर सा इधर से उधर , सुखों की खोज में भटकता रहता है । इस कविता के माध्यम से अपन मन केे उसी आवारापन को व्यक्त करने का प्रयास किया है। आपके प्रोत्साहन की भी आकांक्षा है इस यायावर को।

महान सम्राट विक्रमादित्य का इतिहास

#सोने_की_चिड़िया_वाले_देश_का_असली_राजा_कौन ?बड़े ही शर्म की बात है कि #महाराज_विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया...