जीवन कितना क्षणभंगुर है नश्वर है क्षणिक है, सब जानते हुए भी, मानव मन एक यायावर सा इधर से उधर , सुखों की खोज में भटकता रहता है । इस कविता के माध्यम से अपन मन केे उसी आवारापन को व्यक्त करने का प्रयास किया है।
आपके प्रोत्साहन की भी आकांक्षा है इस यायावर को।