मुझे लगता है कि विद्वान डॉ। भीमराव अंबेडकर को संस्कृत में पारंगत नहीं राहे होगे, इसीलिए वे मनु स्मृति के श्लोकों का वास्तविक अर्थ नहीं खोज पाए और इसे जलाने का फैसला किया।
Hinduism not only offered the number zero to the world, but also its inversely proportional infinite richness in the nothingness that most people immersed...
इस ग्रन्थ को ‘अनुलोम-विलोम काव्य’ भी कहा जाता है। इन श्लोकों को सीधे-सीधेपढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है औरविपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। क्या यह अन्य किसी भाषा में संभव है? नहीं। यही तो संस्कृत की सुंदरता और परिपूर्णता है।