जब अपने घर के अंदर से ही बैठे लोग , उनकी गद्दार मानसिकता हमें मुँह चिढ़ाने लगे तो फिर वो आग तो तेज़ाब बन कर हमारी बंदूकों से निकल कर दुश्मन को पानी की तरह पिघला देती है वो आग कहीं सीने के अंदर ही धधकने लगती है |
सार्वजनिक शुचिता, नैतिकता एवं पारदर्शिता समय की माँग है। आश्चर्य है कि जो ग़ैर सरकारी संगठन शासन-प्रशासन में विभिन्न स्तरों पर व्याप्त भ्र्ष्टाचार को...
राहुल, प्रियंका, सोनिया और उनके पालतू पत्रकार एकदम चुप विदेशी पर्यटक, विवाहित महिला, युवती व बच्ची कोई सुरक्षित नहीं राजस्थान में बलात्कार व गैंगरेप...