अवसाद (डिप्रेशन) समस्या का निवारण…

दुनिया भर में अवसाद और चिंता आम बीमारियां हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा जनवरी 2020 (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की रिपोर्ट के अनुसार, 264 मिलियन से अधिक...

संघ नींव में विसर्जित पुष्प

संघ संस्थापक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आज कौन नहीं जानता है? भारत के कोने-कोने...

वीर जतरा उरांव (टाना भगत) : एक अकथित स्वतंत्रता सेनानी

⚔️⚔️ वीर जतरा उरांव⚔️⚔️ प्रकृति से लगाव और स्वाधीनता के रक्षा की व्याकुलता जनजातीय स्वभाव व संस्कार की मूल्य विशेषता रही है बिहार (वर्तमान...

‘बलिदानम वीर लक्षणम’

“जहाज के ब्रिज पर लगी कप्तान की कुर्सी पर वो शख्स शांत बैठा था ... बिना हड़बड़ी और घबराहट के, जब तक जहाज दिखता रहा, हम उन की ओर देखते रहे ... ” ये 49 साल पहले हुई उस जंग में जिंदा बचे एक नौसैनिक का बयान था, अपने जहाज के कप्तान को याद करते हुए। आज इसकी तारीखी प्रासंगिकता है, क्योंकि 9 दिसंबर 1971 को ही ये जहाज डूबा था। लेकिन ये कहानी सिर्फ एक जहाज के डूबने की नहीं है ... ये कप्तान महेंद्रनाथ मुल्ला की चुनी हुई शहादत की कहानी है।

भूषण कुमार की इन हरकतों से दिवगंत गुलशन कुमार की आत्मा अब भी रोती होगी, t-series ने लांघ दी सारी सीमाएं..!!

भूषण कुमार की इन हरकतों से दिवगंत गुलशन कुमार की आत्मा अब भी रोती होगी, t-series ने लांघ दी सारी सीमाएं..!! हिंदुस्तान के खिलाफ...

एक बार विदाई दे माँ … खुदीराम बोस

खुदीराम बोस (जन्म: १८८९ - मृत्यु : १९०८) भारतीय स्वाधीनता के लिये मात्र १९ साल की उम्र में हिन्दुस्तान की आजादी के लिये फाँसी पर चढ़ गये। कुछ इतिहासकारों की यह धारणा है कि वे अपने देश के लिये फाँसी पर चढ़ने वाले सबसे कम उम्र के ज्वलन्त तथा युवा क्रान्तिकारी देशभक्त थे।

युवाओं के लिए प्रेरणा, नहीं रहे मसालों के बादशाह MDH वाले महाशय धर्मपाल, हार्ट अटैक से निधन

नहीं रहे मसालों के बादशाह MDH वाले महाशय धर्मपाल, हार्ट अटैक से निधन ​​​मसालों के बादशाह एमडीएच ग्रुप (MDH) के मालिक महाशय धर्मपाल जी...

बिग बॉस की फूहड़ता अब स्वीकार्य नहीं, 150 दिन चलने वाला 57 दिन बाद बंद के कगार पर…!!

बिग बॉस की फूहड़ता अब स्वीकार्य नहीं, 150 दिन चलने वाला 57 दिन बाद बंद के कगार पर…!! पहली बार देखा गया है हिंदू...

बस इतना याद रहे … एक साथी और भी था …

"उपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा", ये संभवतया उनके द्वारा अपने साथियों को कहे गए अंतिम शब्द थे, ऐसा कहते कहते ही मेजर संदीप ऑपरेशन ब्लैक टोरनेडो के दौरान मुंबई के ताज होटल के अन्दर सशस्त्र आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हो गए|