कविता ये देश बनता है….देशभक्ति पर कविता ये देश नही बनता केवल खेत-खलिहानों से पहाड़ो से या मैदानों से पठारों या रेगिस्तानों से ये देश बनता है….यहाँ बसते इंसानों से। ये... by Kavita Dunia जनवरी 8, 2021जनवरी 8, 2021
कविता कविता: राम भक्त हैं, राम नाम ले राम की गाथा सुनाते हैं, स्वर्ण लंका हो, या बाबरी हो… स्वाहा अधर्म की जलाते हैं… कलियुग के इस, अधर्मी युग में वैसा अवसर आया था, जब त्याग विनय, भर शौर्य भुजा में भगवा खुलकर छाया था। राम भक्त हैं, राम नाम ले राम की गाथा सुनाते हैं, स्वर्ण लंका हो, या बाबरी हो स्वाहा अधर्म की जलाते हैं।। by Brijesh दिसम्बर 6, 2020दिसम्बर 6, 2020
कविता ना कोई तुलना ना कोई टक्कर एक अकेले तुलसीदास ना कोई तुलना, ना कोई टक्कर, उन पर निर्भर सारा इतिहास कवि कहें, संत कहें या मसीहा समाज के, सीमित करने का न करें... by Kavita Dunia नवम्बर 21, 2020नवम्बर 21, 2020
राय कर्मठ, डर मत। तु भागी है कर्म के पथ पर, फिर क्यों मुझसे आशा रखती? by Baishakkhi जुलाई 16, 2020जुलाई 16, 2020