लगता है किराए में रहते हैं वरना कौन अपना घर जलाता है

एक ऑनलाइन पोर्टल, उसमें किसी के शब्द मुस्लिम धर्म के लिए, और लोगों द्वारा शहर को जलाना| इस पूरी घटना को देखें तो दिखता...

ओमकार

समष्टि में व्याप्त हूँ,व्यष्टि का आधार हूँ,गूंजता हूँ अनंतकाल से,मैं ओमकार हूँ! प्रणव में हूँ,अनहद नाद,सामवेद का उद्गीथ हूँ,गीता का एकाक्षर ब्रह्म अंतर्नाद! स्फुरित...

असमंजस

बड़ी असमंजस में हूँ आजकि आख़िर सुनूँ तो किसकी सुनूँएक तरफ़ अम्बर के वृहद् विस्तार मेंपेड़ों के पार्श्व में अँटकाकृष्णपक्षी प्रतिपदा का चाँद हैदूसरी...

किसान

प्रश्न चिन्ह सा प्रतीत होता है वह ,ढलते सूरज संग ढल रहा कदाचित किसी का सम्मान है।क्षितिज धरा पे निराश, जीवित मगर ढाँचे सा,बैठा जीवन...