एक साधे सब सधे , सब साधे सब जाये।
प्रधानसेवक मोदी का भी कुछ यही हिसाब रहा है अब तक। वो भी बिचारे समाज के हर वर्ग को लेकर चलना चाहते हैं लेकिन ये देश और समाज है की उन्हें सांस भी नहीं लेने देता।
करने कुछ जाते हैं और होता कुछ और है।
इसकी वजह है की निर्णय लेते समय वो अपने देशवासियों की एक विषेशता का ध्यान नहीं रखते !
हमारी कृतघ्नता !