इस्लामी शिक्षा देने गए मौलवी ने किया 6 साल की बच्ची का यौन शोषण, 2 महीने बाद पुलिस ने दबोचा

मदरसों के अंधेरे काफी खौफनाक होते हैं, इसकी बानगी असम से आई खबर से समझिए..। असम के सिलचर में 61 साल के मौलवी शम्सुद्दीन...

लालकिले के गुनहगारों पर गिरेगी गाज: दीप सिद्धू समेत 8 आरोपी पर पुलिस ने किया इनाम घोषित

गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस अब बड़ी और निर्णायक तैयारी में जुट गई है।...

किसान के नाम पर देश को भड़का रहे राहुल, प्रियंका वाड्रा को धनिया-पुदीना-मेथी-बथुआ में फर्क भी पता है?

देशभर में किसान आंदोलन के नाम पर विपक्ष जिस तरह से आंदोलन को हवा दे रहा है उसे देखते हुए कहा जा सकता है...

पश्चिम बंगाल चुनाव प्रचार के लिए बीजेपी में PM मोदी, अमित शाह के अलावा योगी आदित्यनाथ और कपिल मिश्रा की भारी मांग

पश्चिम बंगाल में चुनावी सरगर्मियां जैसे जैसे तेज हो रही है वैसे वैसे जमीन पर हालात बदलने शुरू हो गए हैं। तृणमूल कांग्रेस के...

कट्टरपंथी हामिद अंसारी के कारनामों की कलंक कथा…(Part-1)

पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के विवादित बयानों से अक्सर जाहिर होता है कि देश के प्रति उनका रवैया क्या है? हामिद अंसारी को इस...

किसान बिल की तरह भ्रांति ना फैलाए – मध्यम वर्ग के सपनो को साकार करने वाला है बजट 2021

Budget 2021 Special मध्यम वर्ग के सपनो को साकार करने वाला बजट ◆ आयकर छूट सीमा 2.5 लाख से बढ़ा कर 5 लाख◆ अब...

क्यों भारत के किसान परेशान हैं और क्यों भारत किसान नेताओं से परेशान है?

अन्नदाता बोल कर कोई गुंडागर्दी कर के बच नहीं सकता। इस बात को समझना होगा कि बिना स्वतंत्रता व्यापार नहीं हो सकता और बिना व्यापार धन नहीं आ सकता। इतनी सी बात समझ आ गई और लागू हो गई तो वो दिन दूर नहीं जब भारतीय किसान स्वयं कर देने आगे आयेंगे और देश की प्रगति में और भी बड़ी और निर्णायक भूमिका निभाएंगे जबकि समाज अब तक उन्हें केवल एक निरीह वोट बैंक के रूप में देखता आया है।

सौ गद्दार की एक सरकार की: देश का माहौल खराब करने वाले 250 ट्विटर एकाउंट सस्पेंड

लंबे अरसे से पूरे देश के द्वारा यह मांग की जा रही थी कि सोशल मीडिया साइट के द्वारा कुछ लोग देश की संप्रभुता...

मोदी सरकार का किसानों को तोहफा: कृषि कर्ज बढाकर 16.5 लाख किया, उत्पादन लागत की डेढ़ गुना MSP का लक्ष्य

किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार का कृषकों के प्रति क्या नजरिया है इस बार के बजट के जरिए यह साफ हो जाता है।...

ज़रा सोचिए: आंखों पर स्वार्थ की पट्टी बांधे हुए ये जनता प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी के लायक है…?

एक साधे सब सधे , सब साधे सब जाये। प्रधानसेवक मोदी का भी कुछ यही हिसाब रहा है अब तक। वो भी बिचारे समाज के हर वर्ग को लेकर चलना चाहते हैं लेकिन ये देश और समाज है की उन्हें सांस भी नहीं लेने देता। करने कुछ जाते हैं और होता कुछ और है। इसकी वजह है की निर्णय लेते समय वो अपने देशवासियों की एक विषेशता का ध्यान नहीं रखते ! हमारी कृतघ्नता !