बिना श्रेणी आप जितना रोकेंगें, हम उतना बढेंगें उन सबको समर्पित जो सनातन मानवीय गरिमा की स्थापना के लिए संघर्षरत हैं, जो धर्म, राष्ट्र एवं संस्कृति के लिए समर्पित हैं। by pranay.knp फ़रवरी 1, 2021फ़रवरी 1, 2021
बिना श्रेणी है विश्वास तो दिखाओ प्रमाण (कविता) किसी के हाथों में अहंकार की नंगी शमशीर , उसी के मुंह में नफरत का जहरीला थूक, दिल में पाकिस्तान, ज़बान पर कश्मीर, मैं... by SaurOOrjit जनवरी 23, 2021जनवरी 23, 2021
बिना श्रेणी एक लिबरल को देखा तो ऐसा लगा.. एक लिबरल को देखा तो ऐसा लगा जैसे सूअर का रूप जैसे स्वरा कुरूप जैसे ... by Brijesh जनवरी 17, 2021जनवरी 18, 2021
बिना श्रेणी ये देश बनता है….देशभक्ति पर कविता ये देश नही बनता केवल खेत-खलिहानों से पहाड़ो से या मैदानों से पठारों या रेगिस्तानों से ये देश बनता है….यहाँ बसते इंसानों से। ये... by Kavita Dunia जनवरी 8, 2021जनवरी 8, 2021
बिना श्रेणी माँ माँ छोटे से दीपकका मद्धिम प्रकाशभर देता आकाश और दिखाई देता है मुझेरात-दिन दोपहर की चौंधया अमावसी कालिमारौशनी हो या अँधेरावह देता है मुझेदृष्टि... by Pariksith Singh जनवरी 4, 2021जनवरी 4, 2021
बिना श्रेणी जय अटल, जय बिहारी (कविता) जो हिन्दी बोल पड़ा यू एन में, देश का मस्तक उठा दिया , वो बैठ बस में शांतिदूत , लाहौर तक चला गया ,... by SaurOOrjit दिसम्बर 25, 2020दिसम्बर 25, 2020
राय माँ-स्वरूपा लगती है अब भी तुम्हें गाय, भूखा सलीम बेचारा क्या गौ भी न खाये? मस्जिदों के नीचे क्यूँ मंदिर बनाए? कासिम से पहले क्यूँ राम-कृष्ण आए? क्यूँ जिहाद की राह में रोड़े अटकाए? भग्नाशेषों को रक्खे हो छाती... by SaurOOrjit दिसम्बर 23, 2020दिसम्बर 24, 2020
बिना श्रेणी कविता: राम भक्त हैं, राम नाम ले राम की गाथा सुनाते हैं, स्वर्ण लंका हो, या बाबरी हो… स्वाहा अधर्म की जलाते हैं… कलियुग के इस, अधर्मी युग में वैसा अवसर आया था, जब त्याग विनय, भर शौर्य भुजा में भगवा खुलकर छाया था। राम भक्त हैं, राम नाम ले राम की गाथा सुनाते हैं, स्वर्ण लंका हो, या बाबरी हो स्वाहा अधर्म की जलाते हैं।। by Brijesh दिसम्बर 6, 2020दिसम्बर 6, 2020
कविता कविता कविता कविता कविता कविता कविता कविता कविता कविता कविता: श्रीराम लला का छत्र चढ़ा है, भारत का है मान बढ़ा अयोध्यापति श्रीराम के अपने आसन पर विराजमान होने की सभी भक्तों को बधाई by poet_pratik दिसम्बर 6, 2020दिसम्बर 6, 2020
बिना श्रेणी मेरा नायक एक ऐसा नायक जिसके लिए मात्र राष्ट्रहित एवं जनकल्याण ही सदैव सर्वोपरि हो by poet_pratik दिसम्बर 5, 2020दिसम्बर 5, 2020