हाथरस में कांग्रेस का षड्यंत्र हुआ फेल

हाथरस में कांग्रेस का षड्यंत्र फेल हो गया है- या यूं कहिये कि योगी सरकार को बदनाम करने का कांग्रेस पार्टी का दांव एकदम उल्टा पड़ गया है और बेशर्मी का प्रीतक बन चुकी कांग्रेस पार्टी अब किसी को भी मुंह दिखाने लायक भी नहीं बची है.

आइये विस्तार से समझते हैं कि हाथरस में कांग्रेस क्या करना चाहती थी और क्या हो गया. हाथरस में एक दलित परिवार की लड़की का किसी लड़के के साथ प्रेम प्रसंग था और लड़की के घर वाले उस प्रेम प्रसंग के सख्त खिलाफ थे. लड़की की माँ और भाई ने मिलकर उस लड़की की हत्या कर डाली जिसे आजकल मीडिया की भाषा में “हॉनर किलिंग” भी कहा जाता है. हत्या के आरोप में माँ-बेटे पकडे न जाएँ इसलिए दोनों ने एक मनगढंत कहानी बनाकर एक सवर्ण युवक पर यह आरोप लगा दिया कि उसने उनकी लड़की की रेप करने के बाद हत्या कर दी. इस खबर के फैलते ही कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के षड्यंत्र में शामिल मीडिया का एक वर्ग तुरंत ही हाथरस पहुंचकर मामले को भड़काने का प्रयास करने लगा और सारे मामले को दलित-ठाकुर जातिवाद का रंग देकर उत्तर प्रदेश में दंगे कराने की साज़िश की जाने लगी. अपनी आदत से मजबूर राहुल और प्रियंका जबरन लड़की के घर वालों से मिलने हाथरस की तरफ निकल पड़े. गाड़ी प्रियंका चला रही थीं और राहुल गाँधी उनके साथ बैठे हुए थे. रास्ते भर यह दोनों बेशर्म कांग्रेसी जबरदस्त हंसी ठिठोली करते हुए तथाकथित पीड़ित परिवार से मिलने हाथरस जा रहे थे. इनके ठहाकों से यह सफ जाहिर हो रहा था कि इन्हे पीड़ित परिवार या पीडिता से कोई सहानुभूति नही थी, यह इस बात पर ही खुश होकर ठहाके लगा रहे थे कि देश से सबसे सफल मुख्यमंत्री इनके षड्यंत्र का शिकार हो गये.

स्थानीय पुलिस प्रशासन भी इनकी इस साज़िश में शामिल था जिसने बिना किसी प्राथमिक छानबीन के ही रेप और हत्या के आरोप में सवर्ण युवक को गलत तरीके से फंसा दिया. जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह खुफिया खबर मिली कि मुख्तार अंसारी-अतीक अंसारी और आज़म खान गैंग ने मीडिया के एक वर्ग को १०० करोड़ रुपये की फंडिंग सिर्फ इसलिए की है कि वह किसी भी तरह उत्तर प्रदेश में जातीय दंगे भड़का दे तो योगी जी ने हाथरस में तब तक अराजक तत्वों के प्रवेश पर रोक लगा दी जब तक कि लड़की का अंतिम संस्कार न हो जाए. कांग्रेस पार्टी और मीडिया के एक वर्ग की योजना यह थी कि मृत लड़की के शव के साथ जुलूस निकाला जाएगा और प्रदेश में जातीय दंगे भड़काने की आधारशिला रखी जाएगी लेकिन योगी के आगे इन षड्यंत्रकारियों की एक न चली और जब योगी आदित्यनाथ ने दोषी पुलिस वालों को निलंबित करते हुए इस घटना से सम्बद्ध सभी लोगों का नार्को टेस्ट और सी बी आई जांच के आदेश दिए तो सभी षड्यंत्रकारियों के पैरों के नीचे से मानो जमीन ही खिसक गयी.

इस षड्यंत्र में अब जरा दुबारा से समझते हैं कि कौन कौन शामिल है- उत्तर प्रदेश की राजनीति से मुख़्तार अंसारी-अतीक अंसारी और आजम खान का क्या नाता है, यह सभी को मालूम है. राहुल और प्रियंका समेत इन सभी की राजनीतिक जमीन योगी आदित्यनाथ के सक्षम प्रशासन ने बुरी तरह हिला दी है. इन लोगों ने उत्तर प्रदेश में दंगा कराने की सुपारी मीडिया के एक वर्ग के हाथ में दे दी -अब मीडिया का यह वर्ग आगे-आगे और राहुल-प्रियंका पीछे पीछे. लेकिन यह लोग योगी आदित्यनाथ जैसे कुशल प्रशासक के आगे अपने षड्यंत्र में सफल नहीं हो सके और इनकी पोल बहुत पहले ही खुल गयी. फोरेंसिक रिपोर्ट में भी यह साबित हो चुका है कि लड़की के साथ रेप नहीं हुआ है, सिर्फ उसकी हत्या की गयी है. जिस सवर्ण युवक को लड़की के रेप और हत्या में झूठा फंसाया गया है, वह वारदात के समय एक दूध की डेरी में अपना काम कर रहा था और डेरी के मालिक समेत वहां काम करने वाले लगभग २५ अन्य कर्मचारियों ने इस बात की पुष्टि भी कर दी है लेकिन मीडिया का जो एक वर्ग वहां एक पूर्व नियोजित एजेंडे के साथ गया था, उसने वहां के लोगों की सुनने के बजाये उस स्क्रिप्ट पर काम करना शुरू कर दिया जो उन्हें कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी राजनीतिक दलों ने लिखकर दी थी. अब सी बी आई जांच और नार्को टेस्ट से यही लोग इस कदर घबराये हुए हैं कि एक कांग्रेसी साकेत गोखले तो बाकायदा इलाहाबाद हाई कोर्ट में यह याचिका लेकर पहुँच गया है कि योगी सरकार को सी बी आई जांच और नार्को टेस्ट कराने से रोका जाए.

ज़ाहिर सी बात है कि अपनी आदत के मुताबिक कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दल मीडिया के एक वर्ग के कंधे पर रखकर बन्दूक योगी सरकार पर चलाना चाहते थे लेकिन उस बन्दूक का रुख सी बी आई जांच और नार्को टेस्ट के आदेश के बाद खुद इन लोगों की तरफ हो गया है.

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