प्रकांड ज्ञानी का बेटा होने के कारण रावण ज्ञानी नहीं बन जाता , उसने ज्ञान अपनी मेहनत और तपस्या से प्राप्त किया इतना क्रेडिट उसका बनता है । पर उसने इस ज्ञान को मिलने के बाद उसका क्या किया ?

न्यूयॉर्क में ९/११ पर हमले करने वालों ने भी पूरी एकाग्रता और मेहनत के साथ जहाज़ उड़ाना सीखा होगा । पर उस ज्ञान का उन सबने किया क्या , लोगों को मारा , इकॉनमी गिरा दी ? कोई और पायलट भी वैसी ही ट्रेनिंग करता है जो इमर्जेन्सी लैंडिंग कराता है लोगों की जान बचाने के लिए । तो क्या इन दोनों को बराबर माना जा सकता है ? बिलकुल नहीं ।

इसी तरह अलग अलग प्रोफ़ेशन के लोग अपने ज्ञान का सही उपयोग करते हैं और ग़लत भी । हमारे देश की अर्थव्यवस्था की लुटिया सबसे ज़्यादा तब डूबी जब देश के सर्वोच्च पदों पर बड़े से बड़े अर्थशास्त्री बैठे थे । इसके उलट देश को अलग राह उन्होंने दी है जिनके पास अर्थशास्त्र की कोई डिग्री भी नहीं है या थी ।

मुद्दा यही है की आप अपने ज्ञान का करते क्या हैं । अगर आप उसका ग़लत उपयोग करते हैं तो चाहे आपने ७५ डिग्रियाँ ले रखी हों , वो शायद ठंड में आग तापने के काम आएँ । वरना एक दसवीं पास सैनिक देश की रक्षा करता है और एक पीएचडी धारी देश के टुकड़े होने के नारे लगाता है ।

“सा विद्या या विमुक्तयै” अर्थात् विद्या या ज्ञान वही है जो आपके चित्त को स्वतंत्र करे ना कि बंधनों में बांध दे । साक्षर और शिक्षित होने का यही अंतर है जो रावण नहीं पार कर पाया । वरना सीता का हरण कभी नहीं करता ।

और ये अंतर काफ़ी बुद्धिजीवी भी नहीं समझपा रहे हैं और इसीलिए हर विजयदशमी को रावण की गोद में बैठ जाते हैं !!

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