हालांकि यह सवाल हमारे अन्तर्मन में काफी दिनों से कौंध रहा है कि आखिर सत्ता पर काबिज होने के लिए कुछ भ्रष्ट और सत्ता लोलुप नेता देश द्रोह पर क्योँ उतर आते हैं?
क्या सत्ता की चकाचौंध नेताओं को इतना विवश कर देती है कि उन्हें आम जनता के हितों और देश की गरिमा का भी ध्यान नहीं रहता? लेकिन जब से केन्द्र में भाजपा की सरकार आयी तब से इन सवालों के जबाब खुद ही मिल गये।
अब वर्तमान परिदृश्य के आधार पर हम कह सकते हैं कि निःसंदेह राजनीति का मूल उद्देश्य सेवा भाव ही है, हां राजनीति को जीवन स्तर बदलने का माध्यम तो भ्रष्ट नेताओं की आदतों में शामिल है क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो जय श्री राम का नारा लेकर निकली दो विधायकों की पार्टी आज पुर्ण बहुमत से सत्ता में स्थापित नहीं होती।
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